आज के समय में परिवार छोटे होते जा रहे हैं जबकि पहले परिवार बड़े होते थे. एक परिवार में तीनचार पीढ़ियां भी एकसाथ रहती थीं. भाईबहन अब के मुकाबले अधिक होते थे. यानी, हमें एक बड़े परिवार में रहने की आदत थी. सब मिल कर कारोबार करते थे. नई पीढ़ियां उसी कारोबार में जुड़ती जाती थीं पर जरा सोचिए, क्या उन बड़े परिवारों में सबकुछ सही था? क्या उन परिवारों में रहने वालों में आपसी प्यार था?
भारत में संयुक्त परिवारों के भीतर कई संपत्ति विवाद देखे गए हैं. राजनेताओं, रईस खानदानों, सैलिब्रिटीज और बड़ेबड़े उद्योगपतियों के यहां भी ऐसे विवाद आएदिन सामने आते रहते हैं. उन की जिंदगी के भी पारिवारिक झगड़ों और विवादों ने सुर्खियां बटोरी हैं. वहीं, कई ऐसे भी नामीगिरामी परिवार हैं जिन की एकता और प्रेम ने उन के बिजनैस को ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया.
उदाहरण के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी रिश्तों को बहुत तवज्जुह देते थे. हालांकि अपने निधन से पहले वे एक बड़ी गलती कर गए. अपने जीतेजी उन्होंने बेटों के नाम वसीयत नहीं की. इसी के कारण मुकेश और अनिल के बीच रिश्ते दरक गए. धीरूभाई ने सोचा भी नहीं होगा कि एकदूसरे पर जान छिड़कने वाले मुकेश और अनिल एकदूसरे के प्रतिद्वंद्वी बन जाएंगे.
Bu hikaye Sarita dergisinin October Second 2023 sayısından alınmıştır.
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यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
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पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.
बढ़ रहे हैं ग्रे डिवोर्स
आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.