युद्ध और संघर्ष देशों की अर्थव्यवस्थाएं बरबाद कर देते हैं, चमचमाते शहरों और गगनचुंबी इमारतों को ध्वस्त कर श्मशान बना देते हैं, लोगों की आजीविका खत्म कर देते हैं, भय और अनिश्चितता से समाजों को भर देते हैं, सालों के लिए असमानताएं और विषमताएं बढ़ा देते हैं, लाखोंकरोड़ों मनुष्यों का जीवन समाप्त हो जाता है, परिवार के परिवार खत्म हो जाते हैं और युद्ध के खात्मे के बाद हमारी उंगलियों पर सिर्फ आंकड़े रह जाते हैं. आंकड़े उन के जो सैनिक युद्ध में मारे गए. मगर युद्ध के दौरान और युद्ध के बाद कितनी महिलाएं और कितने बच्चे प्रभावित हुए, कितनी औरतों ने जानें गंवा दीं, कितनी अपाहिज हो गईं, कितनी औरतों और मासूम बच्चियों का अपहरण हो गया, कितनों के साथ बर्बर बलात्कार हुए, कितनों को सरेआम नंगा कर के घुमाया गया, इन बातों की कहीं कोई चर्चा नहीं होती. संघर्ष के दशकों बाद भी महिलाएं इस का खमियाजा भुगतती रहती हैं, लेकिन उन के दर्द को जानने में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं.
दुनिया में जगहजगह युद्ध हो रहे हैं. कुरुक्षेत्र ज्यादातर युद्ध लूटने के लिए नहीं हुए. सदियों से धर्म के नाम पर इंसान का खून बहाया जा रहा है. कहा जाता है कि काल्पनिक कथानक महाभारत में युद्ध में करीब सवा करोड़ योद्धा मारे गए थे. इन में करीब 70 लाख कौरव पक्ष से तो 44 लाख पांडव सेना से मारे गए थे. इन मौतों का विवरण है पर क्या कहीं उन की विधवाओं और मासूम बच्चों के बारे में भी लिखा गया कि उन का क्या हुआ ? वे जीवित रहीं या मर गईं? जीवित रहीं तो किस के सहारे रहीं ? किस ने उन्हें पनाह दी ? किस ने उन के दर्द बांटे ? किस ने उन के बच्चों को रोटी दी.
मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद ने 23 वर्षों के दौरान कोई 80 युद्ध लड़े, जिन में हजारों हलाक हो गए. उन के बारे में तो धर्मग्रंथों में लिखा है मगर उन की विधवाओं का क्या हुआ ? उन के बच्चों का क्या हुआ? उन्होंने किन मुश्किलों का सामना किया ? कैसे तड़पतड़प कर जिंदगी काटी ? किन मुसीबतों से काटी ? क्या इस का भी लिखित ब्योरा कहीं है ?
जिंदगियां लीलते युद्ध
Bu hikaye Sarita dergisinin December Second 2023 sayısından alınmıştır.
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पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
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ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
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आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.