2024 की शुरुआत ही देशभर के कोई 90 लाख ड्राइवरों की हड़ताल से हुई थी. यह हड़ताल एक नए बनाए गए कानून के विरोध में थी जिस पर सरकार ने तुरंत झुकने में ही अपनी बेहतरी समझी. पूरे रंग पर हड़ताल आ पाती, इस से पहले ही सरकार और ड्राइवरों के बीच समझौता हो गया.
समझौता केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और औल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पदाधिकारियों के बीच हुआ. हां ताकि ड्राइवरों को यह खुशखबरी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान ने देते हुए कहा, 'गृहमंत्री अमित शाह मान गए हैं जबकि वे बैठक में नहीं थे.
हर कोई इस पिक्चर में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के ही होने की उम्मीद कर रहा था क्योंकि मामला उन के मंत्रालय से संबंधित था. उन के न होने से एक बार फिर साबित हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भी हाशिए पर ही रख छोड़ा है. उन के हिस्से में अपने राजनीतिक जीवन के संस्मरण सुनाना भर रह गया है. हिट एंड रन कानून पर हड़ताल खत्म होने के बाद भी नितिन गडकरी ड्राइवरों की आंखों में मोतियाबिंद होने का किस्सा सुना रहे थे.
ठीक इसी दिन सोशल मीडिया पर भाजपा का लोकसभा चुनाव 2024 को ले कर एक गाना तेजी से वायरल हो रहा था. इस गाने में एक सुंदर युवा गायिका अनामिका जैन अम्बर गेरुए वस्त्र पहन गा रही है, 'तय कर लो अब सत्य सनातन की छाया हो शासन पर, रामभक्त ही राज करेगा दिल्ली के सिंहासन पर...' 3 मिनट एक सैकंड के इस वीडियो में नदी किनारे गायिका और उस की साथियों के अलावा बैकग्राउंड में मंदिर और नरेंद्र मोदी के पूजापाठ करते दृश्य दिखाई दे रहे हैं. भगवान राम नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद देते हुए भी एक दृश्य में दिखाई दे रहे हैं.
नितिन गडकरी सहित भाजपा की दूसरी पीढ़ी के तमाम नेताओं ने लोकसभा चुनाव प्रचार का यह आगाज देख लिया होगा कि पार्टी ने तीसरी बार मोदी का चेहरा बतौर प्रधानमंत्री पेश कर दिया है. उन्हें सपने में भी यह नहीं सोचना कि वे कभी प्रधानमंत्री बन पाएंगे.
Bu hikaye Sarita dergisinin January Second 2024 sayısından alınmıştır.
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एक गलती ले डूबी इन ऐक्टर्स को
फिल्म कलाकारों का पूरा कैरियर उन की इमेज पर टिका होता है. दर्शक उन्हें इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें वे अपना आइकन मानने लग जाते हैं मगर जहां रियल लाइफ में इस इमेज पर डैंट पड़ता है वहां वे अपने कैरियर से हाथ धो बैठते हैं.
शादी से पहले खुल कर करें बात
पतिपत्नी में किसी तरह का झगड़ा हो हीन, इस के लिए शादी के बंधन में बंधने से पहले दोनों पार्टनर्स हर विषय पर खुल कर बात करें चाहे अरेंज मैरिज हो रही हो या हो लव मैरिज. वे विषय क्या हैं और बातें कैसे व कहां करें, जानें आप भी.
सुनें दिल की धड़कन
सांस लेने में मुश्किल, छाती में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो फौरन कार्डियोलोजिस्ट से हृदय की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति गंभीर हो सकती है.
जब ससुर लेता हो बहू का पक्ष
जिन मातापिता के पास सिर्फ बेटे ही होते हैं वे घर में बहू के आने के बाद बहुत खुश होते हैं. बहू में वे बेटी की कमी को पूरा करना चाहते हैं. ऐसे में ससुर के साथ बहू के रिश्ते बहुत अच्छे हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बाप की ज्यादा लाड़ली होती हैं.
डिंक कपल्स जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेलेपन की खाई
आजकल शादीशुदा युवाओं की लाइफस्टाइल में डिंक कपल्स का चलन बढ़ गया है. इस में दोनों कमा कर आज में जीते हैं पर बच्चे, परिवार और बिना जिम्मेदारियों के साथ. यह चलन खतरनाक भी हो सकता है.
प्रसाद पर फसाद
प्रसाद में मांसमछली वगैरह की मिलावट की अफवाह के के बाद भी तिरुपति के मंदिर में भक्त लड्डू धड़ल्ले से चढ़ा रहे हैं. इस से जाहिर होता है कि यह आस्था का नहीं बल्कि धार्मिक और राजनीतिक दुकानदारी का मसला है.
आरक्षण के अंदर आरक्षण कितना भयावह?
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत सरकारों को अब एससी और एसटी आरक्षण के भीतर भी आरक्षण देने की छूट होगी. इस फैसले ने आरक्षण की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. इस से जाति आधारित आरक्षण की मांग और भी जटिल हो जाएगी, जिस से देश में नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए कानूनों में 2-3 ने ही सामाजिक परिदृश्य को बदला. राजीव गांधी को सामाजिक मामलों की ज्यादा चिंता नहीं थी, यह साफ है.
सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग
हरियाणा और जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच जंग आसान नहीं है. दोनों के बीच सांपसीढ़ी का खेल चलता रहता है.
क्यों फीकी हो रही फिल्मी और आम लोगों की दीवाली
फिल्मों की दीवाली अब पहले जैसी नहीं रही. दीवाली का त्योहार अब बड़े बजट की फिल्मों के लिए कलैक्शन का दिन भी नहीं रहा. इस मौके पर फिल्में आती तो हैं लेकिन बुरी तरह पिट जाती हैं. फिल्मी हस्तियों व आम लोगों के लिए दीवाली फीकी होती जा रही है.