राजनीति में आने और सांसद, विधायक बनने से महिलाओं का सशक्तीकरण हो सकता है. जरूरत इस बात की है कि वे अपनी ताकत को उस तरह से पहचानें जैसे फ्रांस की जौन औफ आर्क ने पहचाना था. भारत में सांसद व विधायक बनने के बाद भी कुछ महिला नेता ही अपना प्रभाव छोड़ सकी हैं. ममता बनर्जी और मायावती ने अपने दम पर मुकाम हासिल किए हैं. इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और जयललिता जैसी कुछ महिला नेताओं ने दूसरों का सहारा ले कर राजनीति में कदम रखा, उस के बाद अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई.
पश्चिमी देशों में जौन औफ आर्क को बहुत खास माना जाता है. नेपोलियन से ले कर आज के दौर तक फ्रांस के नेता जौन औफ आर्क को याद करते हैं. बहुत से मशहूर लेखकों ने इन के जीवन से प्रेरित हो किताबें लिखीं. इन में विलियम शेक्सपियर, वोल्टेयर, फ्रेडरिक शिलर, जिसे वर्दी, प्योत्र ईलिच चाइकौव्स्की, मार्क ट्वेन और जर्ज बर्नार्ड शा प्रमुख हैं. जौन पर बहुत सी फिल्में, वृत्तचित्र, वीडियो गेम और नृत्य भी बने हैं.
जौन की सब से बड़ी खासीयत यह थी कि फ्रांस के लोग उन को संत मानते थे जबकि अंगरेज उन को चुड़ैल मानते थे. जौन ने फ्रांस को अंगरेजों पर विजय दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी. वे एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुई थीं. इस के बाद भी जौन ने अपने देश के लिए जो किया, दूसरा कोई नहीं कर पाया.
जौन औफ आर्क को फ्रांस की वीरांगना माना जाता है. उन का जन्म पूर्वी फ्रांस के किसान परिवार में हुआ था. 12 वर्ष की आयु से उन को ऐसा महसूस होने लगा कि फ्रांस से अंगरेजों को बाहर निकालना है. जौन ने यह बात फ्रांस के राजाओं को बताई. इस के बाद जौन को फ्रांस की सेना की अगुआई करने का मौका मिला. जौन की अगुआई में फ्रांस ने कई महत्त्वपूर्ण लड़ाइयां जीतीं.
अंगरेज जौन को अपना दुश्मन मानते थे. स्कूल में अंगरेजों ने जौन को पकड़ लिया. फ्रांस की नजर में जौन वीरांगना थीं. अंगरेजों की नजर में वे चुड़ैल थीं. अंगरेजों ने जौन को चुड़ैल करार देते हुए जीवित जला दिया. उस समय उन की उम्र केवल 19 साल की थी.
Bu hikaye Sarita dergisinin April Second 2024 sayısından alınmıştır.
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