चारधाम यात्रा - मोक्ष के चक्कर में बेमौत मर रहे श्रद्धालु
Sarita|June First 2024
कहते हैं देवता भी मानव योनि को तरसते हैं क्योंकि तमाम सुख और आनंद इसी योनि में हैं. लेकिन आदमी है कि मोक्ष के लिए मरा जाता है और इस के लिए उस की पसंदीदा जगह केदारनाथ और बद्रीनाथ हो चले हैं. 15 मई तक घोषित तौर पर 11 को 'मोक्ष' मिल चुका है और हर साल की तरह यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा.
भारत भूषण
चारधाम यात्रा - मोक्ष के चक्कर में बेमौत मर रहे श्रद्धालु

शादाब शम्स एक बेहद वफादार भाजपाई नेता और विकट के मोदीभक्त हैं. उत्तराखंड भाजपा के प्रवक्ता रहे शादाब को 2 साल पहले उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है. 15 मई को वे रुड़की स्थित पिरान कलियर दरगाह साबिर पाक में खासतौर से गए थे जहां उन्होंने चादरपोशी के बाद लंगर भी खिलाया और अपने अल्लाह तआला से दुआ मांगी कि नरेंद्र मोदी ही तीसरी बार प्रधानमंत्री बनें क्योंकि न केवल देश को, बल्कि दुनिया को भी उन की जरूरत है जो हर लिहाज से बुरे दौर, जंग और अस्थिरता से गुजर रही है.

इस मौके पर नरेंद्र मोदी की तारीफों में कसीदे गढ़ती जम कर कव्वालियां भी हुईं. शादाब उन इनेगिने मुसलिम नेताओं में से एक हैं जो नरेंद्र मोदी को मुसलमानों का सच्चा हमदर्द मानते हैं. वे मानते हैं कि मोदी के राज में मुसलमान खतरे में नहीं हैं.

लेकिन उन्हीं के राज्य उत्तराखंड में हिंदू खतरे में हैं, यह बात उन्होंने ठीक 2 साल पहले खुल कर इन शब्दों में बयां की थी-

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के आव्हान पर चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. जिन लोगों की यात्रा मार्ग में मौत हो जाती है तो उन के मुताबिक, उन्हें मोक्ष मिलेगा. लोगों की चारधाम के प्रति सच्ची आस्था है.

इस पर कांग्रेस क्यों खामोश रहती, लिहाजा, पलटवार में उस की प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा, 'चारधाम यात्रा में मोक्ष का मतलब मृत्यु नहीं है बल्कि श्रद्धालु धाम में पहुंच कर अपनी गलतियों का प्रायश्चित्त कर सुखद जीवन की कामना करता है.'

2022 और 2023 में भी सैकड़ों श्रद्धालु चारधाम यात्रा के दौरान मारे गए थे. इस साल 14 मई को ही यह आंकड़ा दहाई अंक में पहुंच गया है. 10 मई को यह यात्रा शुरू हुई थी और 4 दिनों में ही 11 श्रद्धालु मोक्ष या मृत्यु कुछ भी कह लें को प्राप्त हो चुके थे. अगर हालत यही रही, जिस की उम्मीद ज्यादा है तो मरने वालों की तादाद कितने सौ पार करेगी, गारंटी से इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यहां मामला राजनीति का नहीं, बल्कि धर्म का है.

असुविधा ढोते श्रद्धालु

Bu hikaye Sarita dergisinin June First 2024 sayısından alınmıştır.

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