सरकारी स्कूलों के बच्चे भी ला सकते हैं अच्छे नंबर
Sarita|June First 2024
अगर एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी को हटा दिया जाए तो प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बीच बुनियादी सुविधाओं का अंतर धीरेधीरे खत्म होता जा रहा है. ऐसे में यदि मेहनत और लगन से पढ़ाई करवाई जाए तो सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अच्छे अंक ला सकते हैं.
गरिमा पंकज
सरकारी स्कूलों के बच्चे भी ला सकते हैं अच्छे नंबर

यह एक आम धारणा है कि प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से अधिक होशियार होते हैं. इस के समर्थन में कई लोग बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे भी दिखा सकते हैं. लेकिन हकीकत कुछ और है. पहली बात तो यह है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को दाखिला देने के पहले ही चुना जाता है. कई बार उन्हें चुनने के लिए कठिन परीक्षा भी आयोजित कराई जाती है. जाहिर है कठिन परीक्षाओं को पास कर के आने वाले बच्चे अपेक्षाकृत अधिक होशियार हो सकते हैं. वैसे भी प्राइवेट स्कूलों में उन अमीर बच्चों को ही लिया जाता है जिन के परिजन अपने बच्चों के लिए महंगे महंगे ट्यूशन जरूर लगवाते हैं.

ऐसा कतई नहीं है कि सरकारी स्कूलों की क्वालिटी खराब होती है या वहां पढ़ने वाले बच्चे अच्छे नंबर नहीं ला सकते. दरअसल स्कूल की क्वालिटी का मतलब महंगी बिल्डिंग, इंग्लिश माध्यम और बच्चों को मिलने वाली बेहतर सुविधाओं की चीजों से ही नहीं लगाया जा सकता.

यह सच है कि सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बहुत कम होती हैं. साथ ही, सरकारी शिक्षक सही ढंग से अपनी ड्यूटी भी नहीं निभा पाते क्योंकि उन के हिस्से में बच्चों को पढ़ाने के अलावा भी बहुत सी 'नैशनल ड्यूटीज' भी होती हैं. सरकारी स्कूल के शिक्षक चुनाव, जनगणना, पशुओं की गणना, हैल्थ सर्वे या ऐसे ही दूसरे कई कामों में व्यस्त रहते हैं. उस पर सरकारी स्कूलों में बच्चों की भारी संख्या के मुकाबले शिक्षकों की संख्या बहुत कम रहती है. फिर भी बच्चे मेहनत करें और साथ में ट्यूशन लें तो सरकारी स्कूलों के बच्चे किसी से कम नहीं.

आज का ट्रैंड हम यह देखते हैं कि अमीर परिवार तो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते ही हैं, मध्यवर्गीय परिवार भी खींचतान कर के अपने बच्चों को किसी भी तरह प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ाता है. भले ही उन स्कूलों की फीस चुकाने में उन्हें अपने मंथली बजट में काफी कंजूसी करनी पड़ती है लेकिन उन स्कूलों में पढ़ा कर वे अपनी शान समझते हैं. सब जानते हैं कि प्राइवेट स्कूल फीस और दूसरे चार्जेज के नाम पर हमें लूटते हैं, फिर भी हम अपना स्टैंडर्ड दिखाने के लिए बच्चों को वहीं भेजते हैं.

Bu hikaye Sarita dergisinin June First 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Sarita dergisinin June First 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

SARITA DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
Sarita

शादी से पहले बना लें अपना आशियाना

कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.

time-read
6 dak  |
November Second 2024
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
Sarita

ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज

बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.

time-read
3 dak  |
November Second 2024
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
Sarita

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.

time-read
8 dak  |
November Second 2024
एमआरपी का भ्रमजाल
Sarita

एमआरपी का भ्रमजाल

एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.

time-read
4 dak  |
November Second 2024
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
Sarita

कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो

कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.

time-read
6 dak  |
November Second 2024
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
Sarita

कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश

कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.

time-read
10 dak  |
November Second 2024
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita

1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.

time-read
6 dak  |
November Second 2024
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
Sarita

अमेरिका अब चर्च का शिकंजा

दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.

time-read
4 dak  |
November Second 2024
कंगाली और गृहयुद्ध के मुहाने पर बौलीवुड
Sarita

कंगाली और गृहयुद्ध के मुहाने पर बौलीवुड

बौलीवुड के हालात अब बदतर होते जा रहे हैं. फिल्में पूरी तरह से कौर्पोरेट के हाथों में हैं जहां स्क्रिप्ट, कलाकार, लेखक व दर्शक गौण हो गए हैं और मार्केट पहले स्थान पर है. यह कहना शायद गलत न होगा कि अब बौलीवुड कंगाली और गृहयुद्ध की ओर अग्रसर है.

time-read
10 dak  |
November First 2024
बीमार व्यक्ति से मिलने जाएं तो कैसा बरताव करें
Sarita

बीमार व्यक्ति से मिलने जाएं तो कैसा बरताव करें

अकसर अपने बीमार परिजनों से मिलने जाते समय लोग ऐसी हरकतें कर या बातें कह देते हैं जिस से सकारात्मकता की जगह नकारात्मकता हावी हो जाती है और माहौल खराब हो जाता है. जानिए ऐसे मौके पर सही बरताव करने का तरीका.

time-read
4 dak  |
November First 2024