बच्चों को रिस्क उठाने दें
Sarita|June First 2024
बच्चा अगर धूप, धूल और मिट्टी में खेलना चाहता है तो उसे खेलने दीजिए, वह अगर पेड़ और पहाड़ पर चढ़ना चाहता है तो उसे चढ़ने दीजिए, वह अगर ऐसी कोई दूसरी एक्टिविटी, जो आप को जोखिमपूर्ण लगती हो, में शामिल होना चाहता है तो उसे रोकिए मत ताकि जरूरत पड़ने पर वह खुद की सहायता कर सके.
बच्चों को रिस्क उठाने दें

भोपाल का यह हादसा दुखद है लेकिन इस का दोहराव किसी और के साथ न हो इसलिए दिखने वाली बहुत सी बातों के अलावा उन कुछ बातों पर भी गौर करना जरूरी है जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है.

बीती 5 मई को भोपाल के साकेत नगर में रहने वाले गौरव राजपूत अपनी पत्नी अर्चना और दोनों बेटों 9 वर्षीय आरुष और 2 वर्षीय आरव सहित सीहोर के नजदीक क्रीसेंट वाटर पार्क में गए थे. साथ में, उन की भाभी भी थीं. मकसद था, इतवार की छुट्टी का सही इस्तेमाल करते परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताना, जो आजकल बहुत आम चलन है. पेशे से पेपर ट्रेडर गौरव को रत्तीभर भी अंदाजा या एहसास नहीं था कि एक ऐसा हादसा क्रीसेंट में उन का इंतजार कर रहा है जो जिंदगीभर उन्हें सालता रहेगा.

स्विमिंग पूल पर पहुंचते ही सभी ने तैराकी का लुत्फ उठाना शुरू कर दिया और उस में मशगूल हो गए. इसी दौरान आरुष कब पानी में डूब गया, इस की भनक किसी को नहीं लगी. कुछ देर बाद अर्चना का ध्यान उस पर गया. उन्होंने बेटे को पानी से निकालते पति को आवाज दी, फिर तो वाटर पार्क में हल्ला मच गया. बेहोश आरुष को ले कर गौरव और अर्चना नजदीकी अस्पताल पहुंचे जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस के बाद शुरू हुआ आरोपप्रत्यारोपों का सिलसिला.

अर्चना और गौरव का कहना था कि क्रीसेंट की तरफ से कोई मदद नहीं मिली, न उन्होंने फर्स्टएड बौक्स दिया और न ही उनके पास स्ट्रेचर था. और तो और, मौके यानी पूल पर कोई इंचार्ज और कोई गार्ड नहीं था. उलट इस के, प्रबंधन का कहना था कि लापरवाही के ये आरोप झूठे हैं. मौके पर लाइफगार्ड मौजूद थे और उन्होंने ही बच्चे को अस्पताल पहुंचाया था. हमारे पास खुद की एंबुलैंस है.

पुलिस ने जांच शुरू कर दी. अब मामला अदालत में जाएगा लेकिन इस से आरुष वापस नहीं आने वाला. हां, दोषी अगर कोई पाया जाता है तो उसे जरूर सजा मिलनी चाहिए. आइंदा कोई आरुष ऐसे हादसे का शिकार न हो, इस के लिए जरूरी है कि पेरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश के मौजूदा तौरतरीकों पर गौर करें और जहां कमियां या खामियां दिखें, उन्हें सुधारें क्योंकि बच्चों से ताल्लुक रखते ऐसे हादसे अब आएदिन की बात हो चले हैं.

सदमे में डूबे परिवार

Bu hikaye Sarita dergisinin June First 2024 sayısından alınmıştır.

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