लोकसभा चुनाव 2024 के जनादेश ने संघ और भाजपा के हिंदू राष्ट्र के सपने को तोड़ दिया है. जनता ने साफ कर दिया है कि उस को विकास चाहिए, पहले अपना फिर देश का. भाजपा के रामराज, हिंदू-राज जैसे नारों का एक बहुत बड़े तबके पर कोई असर नहीं हुआ, बल्कि इस तरह के नारों ने उसे सजग जरूर कर दिया कि उसे हजार साल आगे की तरफ देखना है, न कि पांच हजार साल पीछे जाना है, जैसा कि संघ और भाजपा की नीयत है. संघ और भाजपा का हिंदू राष्ट्र बनाने का एक ही मकसद है- मनुस्मृति की वर्णव्यवस्था को लागू करना, जिस में महिलाओं, आदिवासियों और दलितों-पिछड़ों को फिर से ब्राह्मण जाति के हुक्म का गुलाम बनाया जाए. उन की सेवाएं ली जाएं और उनसे वे सारे अधिकार छीन लिए जाएं जो बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान के जरिए भारत में रहने वालों को दिए गए हैं. जनता समझ गई कि अगर भाजपा के पास बहुमत आया तो अगले 5 वर्षों में संविधान को पूरी तरह समाप्त कर देश में तानाशाही कायम कर दी जाएगी. इस अंदेशे को कई राजनीतिक पार्टियों ने भी चुनावप्रचार के दौरान जाहिर किया.
अकेले दम पर केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा को 272 सीटों की जरूरत थी, मगर उस की मंशा से नाराज जनता ने उसे 240 पर ही रोक दिया. एनडीए गठबंधन को मिला कर भी 300 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाए. ऐसे में सपना तो टूटा ही, पैरों के नीचे से सत्ता खिसकने का खतरा भी पैदा हो गया. सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को आखिरकार गठबंधन के उन दलों की मानमनौवल करनी पड़ी जो दलितों, मुसलमानों और पिछड़ों की राजनीति करते आए हैं. जनता दल यूनाइटेड और तेलुगूदेशम पार्टी सरीखे दलों की बैसाखियों के सहारे आखिरकार एनडीए गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश कर पाया और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुरसी पर बैठने लायक हो सके.
Bu hikaye Sarita dergisinin July First 2024 sayısından alınmıştır.
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.