नरेंद्र मोदी सरकार की नौवीं वर्षगांठ के जश्न के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि अब से 10 महीने बाद उसे एकजुट विपक्ष का सामना करना पड़ेगा जो मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश करेगा कि प्रधानमंत्री 'अच्छे दिन' देने के अपने वादे से मुकर गए हैं। मोदी और उनकी पार्टी के सामने चुनौतियां साल 2019 जैसी ही हैं जब उन्होंने हिंदी भाषी क्षेत्रों के तीन प्रमुख राज्यों में चुनावी विफलता के पांच महीने के भीतर ही लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बातचीत में कहा, '2004 की 'इंडिया शाइनिंग' से जुड़ी चुनावी आपदा ने भाजपा के वर्तमान नेतृत्व को वैचारिक रूप से चुस्त होना सिखाया है जो फरवरी 2019 के लेखानुदान और अब की स्थिति से भी स्पष्ट है।'
दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव हारने के बाद अप्रैल महीने में केंद्र ने यह अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया कि नई पेंशन योजना में कोई बदलाव आवश्यक है या नहीं। चुनावों के दौरान कांग्रेस का एक केंद्रीय मुद्दा पुरानी पेंशन योजना' को बहाल करना था।
कृषि संकट के चलते भाजपा को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा और इसके ठीक दो महीने से भी कम समय में फरवरी 2019 में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश करने के लिए लोकसभा में उपस्थित हुए और उन्होंने इस नियम को बढ़ा दिया कि एक निर्वाचित सरकार को केवल पांच पूर्ण बजट पेश करना चाहिए।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin May 27, 2023 sayısından alınmıştır.
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