भारतीय कंपनी जगत को अब ज्यादा अनुपालन व गवर्नेस लागत का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बाजार नियामक सेबी ने खुलासा नियमों में सख्ती की है और प्रमुख पदों पर नियुक्तियों, सूचनाओं की प्रासंगिकता व थर्ड पार्टी टांसफर को लेकर नियमों में बदलाव किया है।
इस हफ्ते नियामक ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट (एलओडीआर) में संशोधन किया है जो सूचीबद्ध कंपनियों को पारदर्शिता व खुलासे के मामले में सचेत करेगा। नया ढांचा आम शेयरधारकों को और सशक्त बनाएगा और जल्द ही यह अनुपालन या जुर्माने वाली व्यवस्था की ओर बढ़ चलेगा।
पारदर्शिता को लेकर एक अहम बदलाव के तहत 100 अग्रणी सूचीबद्ध कंपनियों को 1 अक्टूबर से मुख्यधारा में रही खबरों की पुष्टि या इनकार करना होगा, साथ ही किसी अफवाह या सूचना पर स्पष्टीकरण 24 घंटे के भीतर देना होगा। अगले वित्त वर्ष से इस दायित्व का विस्तार 250 कंपनियों तक कर दिया जाएगा।
हालिया संशोधन का विश्लेषण कर खेतान ऐंड कंपनी के शरद अभयंकर और वैभव मित्तल ने एक नोट में कहा है, ये चीजें सूचीबद्ध इकाई की वाणिज्यिक मजबूती पर चोट पहुंचा सकता है (क्योंकि ऐसे अफवाह को ट्रैक करने में वक्त लगेगा और यह प्रक्रिया जटिल होगी) क्योंकि सूचीबद्ध कंपनियों के अब बाजार के कयासों पर न सिर्फ टिप्पणी देनी होगी बल्कि उसकी स्थिति के बारे में भी बताना होगा।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin June 23, 2023 sayısından alınmıştır.
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