पॉलिसीबाजार डॉट कॉम ने हाल ही में 2,000 से अधिक कॉरपोरेट स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों का अध्ययन किया, जिसमें पता चला कि बीमा के साथ कई सीमाएं और शर्ते जुड़ी हैं। आपको अपनी कंपनी से जो स्वास्थ्य बीमा मिला है, वह बीमारी या दुर्घटना होने पर सबसे पहले काम आता है मगर केवल उसी के भरोसे बैठना सही नहीं होगा।
बड़ी कमियां
कमरे के किराये की सीमा: पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के अध्ययन में पता चला कि 12 फीसदी कॉरपोरेट स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में अस्पताल के कमरे का किराया कुल बीमा राशि के 1 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। 48 फीसदी पॉलिसियों में किराया 5,000 रुपये प्रति रात्रि से अधिक नहीं है।
यदि कॉरपोरेट पॉलिसी में कुल 3 लाख रुपये का बीमा है और कमरे का किराया 1 फीसदी ही रखा गया है तो अधिकतम 3,000 रुपये प्रति रात्रि से अधिक किराया नहीं दिया जा सकता। जाहिर है कि महानगर में बढ़िया अस्पताल में केवल एक मरीज के लिए वातानुकूलित कमरा इस रकम में मिल ही नहीं सकता। मान लीजिए कि किसी कर्मचारी को कंपनी के स्वास्थ्य बीमा के तहत 5,000 रुपये प्रति रात्रि तक का कमरा मिल सकता है। मगर वह 10,000 रुपये किराये वाला कमरा लेता है तब क्या होगा? पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के सह-संस्थापक यशीष दहिया कहते हैं, 'इस सूरत में पॉलिसी के तहत मंजूर किराया असली किराये का 50 फीसदी ही है। जानकारी नहीं होने की वजह से लोग मान लेते हैं कि उन्हें बकाया 5,000 रुपये प्रति रात्रि ही अपनी जेब से देने पड़ेंगे। वास्तव में बीमा कंपनी तय कायदे लागू करेगी और इलाज पर हुए कुल खर्च का केवल 50 फीसदी ही मरीज को अदा करेगी।'
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin July 31, 2023 sayısından alınmıştır.
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