वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में आयोजित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इकनॉमिस्ट कॉन्क्लेव में कहा था कि बैंकएश्योरेंस ने बीमा की पैठ को बेहतर किया है, मगर उसने मिस-सेलिंग यानी गलत बिक्री को भी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि इससे ग्राहकों के लिए उधारी लागत बढ़ती है। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के अध्यक्ष देवाशिष पांडा ने भी इससे सहमति जताते हुए बैंकों द्वारा बीमा पॉलिसियों की गलत बिक्री के बारे में बढ़ती चिंताओं को उजागर किया।
गलत बिक्री के प्रकार
बीमा को सावधि जमा के रूप में पेश करना: बैंकों के रिलेशनशिप मैनेजर अक्सर बीमा पॉलिसियों को उच्च रिटर्न वाली सावधि जमा (एफडी) के तौर पर पेश करते हुए ग्राहकों को गुमराह करते हैं। इंश्योरेंस समाधान की सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी शिल्पा अरोड़ा ने कहा, ‘कभी-कभी वे बीमा पॉलिसियों को ऐसे अल्पकालिक निवेश के रूप में प्रस्तुत करते हैं जिनकी अवधि बमुश्किल 3 से 5 साल होती है।’
ऋण के साथ बीमा: टर्म, प्रॉपर्टी एवं अन्य बीमा पॉलिसी खरीदने को ऋण की मंजूरी के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। लॉर्ड्स मार्क इंश्योरेंस ब्रोकिंग सर्विसेज के प्रबंध निदेशक एसके राघव ने कहा, ‘ऋणधारकों को लगता है कि उनके पास खरीदने के अलावा कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं है।’
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin December 16, 2024 sayısından alınmıştır.
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'चुनाव जीते तो वृद्धों का निःशुल्क इलाज'
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को घोषणा की कि दिल्ली में उनकी पार्टी के सत्ता में लौटने पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के निःशुल्क उपचार के लिए 'संजीवनी योजना शुरू की जाएगी। दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में प्रस्तावित है।
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राजधानी दिल्ली फिर गंभीर प्रदूषण की चपेट में
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को एक बार फिर प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगातार दूसरे दिन गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक चार दिन के भीतर ही एक्यूआई दोगुने से अधिक पहुँच गया है। बीते 14 दिसंबर को यह जहाँ 193 पर था वहीं 18 तारीख को यह 445 पर दर्ज किया गया, जो इस माह में अब तक सबसे अधिक है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में ग्रैप-4 की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं।
एसआईएफ से बढ़ेंगे विकल्प
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने तथाकथित 'स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स' या एसआईएफ को अधिसूचित किया है और कुछ माह पहले परिकल्पित इस नए परिसंपत्ति वर्ग के नियम कायदों को स्पष्ट किया है।
नेहरूवादी मानवतावाद और भारत का विकास
आजादी के बाद पहले डेढ़ दशक के नियोजित विकास की नीतियों को नेहरूवादी समाजवाद के बजाय नेहरूवादी मानवतावाद कहना बेहतर होगा। विस्तार से बता रहे हैं नितिन देसाई
संस्थाओं की रक्षा है राजनीति की बड़ी चुनौती
लगता है कि अमेरिका को अतिआत्मविश्वास का नतीजा भुगतना पड़ेगा। 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार वहां के राष्ट्रपति चुने गए थे तभी से तर्क दिया जा रहा है कि जिस देश की संस्थाएं मजबूत और स्थिर हैं, उस देश की दिशा को स्थायी रूप से बदलने के बहुत कम रास्ते उनके पास हैं।
महामारी के बाद बहुत धीरे उबर रहे हैं लघु और मझोले उद्यम
वित्त वर्ष 2015 में जीडीपी में एमएसएमई की हिस्सेदारी 32.2 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 20 में घटकर 30.5 फीसदी रह गई। महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2021 में यह और गिरकर 27.3 फीसदी पर आ गई
ट्रंप की हिटलिस्ट से बचा भारत, 2024 के आंकड़ों से चिंता
भारत कैलेंडर वर्ष 2023 में उन शीर्ष 10 देशों में शामिल नहीं है, जिनका अमेरिका से सर्वाधिक व्यापार घाटा था, लेकिन वह इस सूची में शामिल होने से बाल-बाल बचा है।