भगवान् विष्णु के आवेशावतार भगवान् परशुराम
Jyotish Sagar|April-2023
सप्तम भाव में सूर्य भी उच्च राशिगत होकर स्थित है। इस प्रकार चारों ही केन्द्र भाव में उच्चस्थ ग्रह हैं। इस ग्रह स्थिति के फलस्वरूप परशुराम जी की जन्मपत्रिका में कमल नामक श्रेष्ठ योग निर्मित हो रहा है। इन ग्रहों की श्रेष्ठ परिस्थिति के कारण ही परशुराम जी इतने पराक्रमी एवं बलशाली हुए। इन्हीं ग्रह स्थितियों के फलस्वरूप उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।
भगवान् विष्णु के आवेशावतार भगवान् परशुराम

गवान् विष्णु के अवतार माने जाने वाले परशुराम सप्त चिरंजीवियों में अग्रगण्य हैं। प्राचीन काल में एक समय सम्पूर्ण पृथ्वी पर क्षत्रियों का अनाचार बढ़ गया था। वे प्रजा को नाना प्रकार से कष्ट पहुँचाया करते थे। इससे परेशान होकर ब्राह्मणों ने भगवान् विष्णु की अनेक प्रकार की स्तुति और तप से प्रसन्न किया। तब भगवान् विष्णु ने अन्याय और अत्याचार को मिटाने के लिए एवं धर्म की पुन:स्थापना के लिए वैशाख शुक्ल तृतीया को रात्रि के प्रथम प्रहर में माता रेणुका के गर्भ से जन्म लिया।

परशुराम जी ने केवल एक युग के नियामक के रूप में ही भूमिका का निर्वहण नहीं किया है, वरन् तीन युगों को विनियमित किया है। भगवान् विष्णु ने जनकल्याणार्थ, अधर्म विनाशा एवं धर्मसंस्थापनार्थ यह अवतार लिया। परशुराम जी का वास्तविक नाम राम ही था, परन्तु देवाधिदेव भगवान् महादेव प्रदत्त परशु धारण करने के कारण वे 'परशुराम' कहलाए। ये आवेशावतार, अद्वितीय न्यायमूर्ति, वेदज्ञ, परशुधारी, सर्वक्षत्रियान्तक, ऋषि पुङ्गव, कामधेनु उद्धारक, शोषित जनपालक, सहस्रार्जुन दर्पान्तक एवं ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं।

यदि इनके गुणों की बात की जाए, तो परशुरामजी न्यायप्रिय, सर्वदर्शी, पितृभक्त, निर्बलों के रक्षक, कृपासिन्धु, कर्मनिष्ठ, ध्येयनिष्ठ, तपोनिष्ठ, महादेव भक्त, रणकुशल, धर्म संरक्षक, सर्वज्ञ तेजस्वी, श्रेष्ठ नेतृत्वकर्ता, सहिष्णु, आचारवान्, प्रज्ञावान्, अचिन्त्यस्वरूप एवं पुराणपुरुष हैं।

Bu hikaye Jyotish Sagar dergisinin April-2023 sayısından alınmıştır.

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एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
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हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?
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आखिर ऐसा क्या है कि इतना प्रसिद्ध तीर्थस्थल होने के बाद भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या जैसी उम्मीद की गई थी, उसकी तुलना में हमेशा ही बहुत कम रहती है।

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June 2024
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June 2024
गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन
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गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन

यदि ग्रह गोचराष्टक वर्ग में 4 या अधिक रेखाओं वाली राशि पर गोचर कर रहा है, तो जिन-जिन कक्षाओं में उस राशि को शुभ रेखाएँ प्राप्त हुई हैं, उन कक्षाओं के स्वामी ग्रह के जन्मपत्रिका में भावों और नैसर्गिक कारकत्वों से सम्बन्धित शुभफलों की प्राप्ति होती है।

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सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल
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सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
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