ग्वालियर - चम्बल अंचल में रहनेवाली बहुसंख्यक जनजाति 'सहरिया' की गौरव एवं शौर्य गाथाओं का उल्लेख स्वतंत्रता संग्राम के सन्दर्भ में अपवादस्वरूप ही होता है। लेकिन इतिहाससम्मत तथ्य है कि जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से निकलकर शिवपुरी जिले के गोपालपुर जागीर में पड़ाव डाला था, तब उन्होंने इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रहनेवाली सहरिया जनजाति को संगठित कर अंग्रेजों के विरुद्ध खड़ा करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया था। रानी यहाँ के जागीदार रघुनाथ सिंह वशिष्ठ के बुलावे पर काल्पी की हार के बाद गोपालपुर आई थीं। उनके साथ राव साहब, तत्या टोपे और बांदा के नवाब अली बहादुर भी थे। इस दौरान रानी की पहलकदमी खांदी और गोंदोली में भी थी। अंग्रेजों से मुक्ति की मतवाली रानी की इस क्षेत्र की सौंधी मिट्टी में उपस्थिति और स्थानीय लोगों में लड़ाई की आग फूंकने से संबंधित लोक गीत आज भी ओंठों पर अनायास फूट पड़ता है-
मिट्टी और पत्थर से उसने अपनी सेना गढ़ी। केवल लकड़ियों से उसने तलवारें बनाई। पहाड़ को उसने घोड़े का रूप दिया, और रानी ग्वालियर की ओर बढ़ी। बताते हैं कि रानी ने अपने नेतृत्व कौशल से इस क्षेत्र में दो हजार नए सैनिकों में सैन्य क्षमताएं गढ़ दी थीं। इसी सैन्य बल के आधार पर रानी ने ग्वालियर किले को फतह कर लिया था।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - November 2022 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष