मुख्यतः भारतीय स्त्री समर्पित पत्नी और वात्सल्यमयी माँ के स्वरूप में समाई हुई है। मातृ रूप में स्त्री की गरिमा, शक्ति रूप में देवी और राष्ट्रीयता के सन्दर्भ में मातृभूमि की परिकल्पना, सांस्कृतिक परम्परा में प्रतिष्ठित है। अस्त्र-शस्त्र तथा शासन वंश में प्रवीण वीरांगना के स्वरूप में संघर्षरत नारी देखने को मिलती है।
नारी की शासकीय भूमिका को गौरव प्रदान करनेवाली महारानी अहिल्याबाई होल्कर का तीन दशक का शासनकाल भारत के इतिहास का एक अत्यन्त संकटग्रस्त काल था। अट्टाहरवीं शताब्दी की अव्यवस्था में भी उनका राज्य और उनका प्रशासन उनकी देखभाल में समृद्ध हो रहा था।
अहिल्या बाई को उसके श्वसुर (मल्हार राब होल्कर) ने प्रशिक्षित किया था। श्वसुर मल्हार राव अपनी बेटी से भी अधिक उन पर स्नेह रखते थे। जिन्होंने उसे राजस्व इकट्ठा करने, सन्देश तथा विज्ञप्ति लेखन और सेना को सम्भालने का सारा कार्य सिखाया था । आठ वर्ष की छोटी आयु में विवाह के बावजूद उन्हें न केवल राज्य कार्य में प्रशिक्षित किया गया अपितु उन्होंने युद्ध कला में महारथ हासिल की श्री। पानीपत के युद्ध में वह सिंथिया के साथ थी। उनके पति खंडेराव भी उनसे प्रेरणा लेते थे। बीस वर्ष की आयु से भी पहले वह विधवा हो चुकी थी। कुछ समय बाद उन्होंने अपने पुत्र माळेराव को भी खो दिया था। इन कठिनाइयों के बावजूद १७६५ से १७६५ तक होल्कर राज्यों पर साहस और निपुणता से राज करती रहीं। लोकमाता पुण्यश्लोका अहिल्याबाई के विरुद को सार्थक किया।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin February 2023 Issue sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष