रामेश्वरम् नगर में ही रामनाथ स्वामी मन्दिर से ६.४ किलोमीटर पर स्थित है स्वच्छ जल का यह पवित्र कुंड मंगला तीर्थम। इस तीर्थम के निकट एक राम मन्दिर है। इसकी विशेषता यह है कि इसके भीतर समुद्र के पानी का कोलाहल सुनाई नहीं देता, इसलिए माना जाता है कि श्रीराम ने लंका जाने के लिए समुद्र पर सेतु बनाने की योजना यहीं पर बनायी थीं। यहाँ पूर्ण शान्ति होने के कारण ही इसे एकान्त रामार मन्दिर भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं देव ब्रह्मा ने किया था। जब देव ब्रह्मा सृष्टि का सृजन कर रहे थे तब उन्होंने देवी लक्ष्मी से सभी जीवों को मंगल प्रदान करने हेतु प्रार्थना की, देवी लक्ष्गी ने सभी जीवों को मंगल का वरदान दिया और इसी मंगला तीर्थम कुंड में कमल के रूप में विलीन हो गयीं। यह भी मान्यता है कि यहाँ सभी देवताओं ने स्नान किया था। एक कथा यह भी आती है कि चन्द्रवंश के एक राजा मनोजवर अपना साम्राज्य गंवा बैठे और एक बंजारे की तरह घूमते फिर रहे थे। उन्हें एक संत पराशर मिले, जिनके सुझाव के अनुसार राजा ने पावन मंगला तीर्थम में स्नान किया और तीन माह तक तपस्या की, ऐसा करने से राजा को अपना साम्राज्य फिर से मिल गया।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin अप्रैल 2023 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष