श्रवण नक्षत्र में जो पूर्णिमा आती है उसको श्रावणी पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। जिस प्रकार फाल्गुनी पूर्णिमा को होलिका-पूजन, विजयादशमी को देवी पूजन और दीपावली को लक्ष्मी-पूजन होता है उसी प्रकार श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि-पूजन होता है। श्रवण नक्षत्र में पापनाशिनी ऊर्जा प्राप्त करने का संकल्प, अभ्युदय का संकल्प फलित करने में बड़ा सहयोग मिलता है।
दुर्वासा ऋषि ने रक्षाबंधन के रूप में संकल्प की शक्तियों को विकसित करने की कला खोजी। रक्षाबंधन पर बाँधा जानेवाला नन्हा-सा धागा क्या गजब की शक्ति रखता है ! रक्षासूत्र तो पतला है परंतु इस पतले धागे में संकल्प जितने उच्च व्यक्ति का हो, जितना ऊँचे चित्त का हो उतना अद्भुत काम करता है। संकल्प में बड़ी ताकत है। भगवान श्रीकृष्ण और बलराम प्रजा को सतानेवाले दुष्ट दैत्यों से युद्ध करने के लिए जा रहे थे। स्नेहमयी बहन सुभद्रा पहुँची आद्याशक्ति (माँ पार्वतीजी) के मंदिर में, लगायी पुकार : "हे माँ ! हे जगज्जननी !..." बहनों में स्नेह, सद्भाव बहुत होता है। अगर वे शुभ की तरफ चलें तो कहाँ-से-कहाँ पहुँचा देवें !
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin September 2022 sayısından alınmıştır.
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।