जीवन का शायद ही कोई ऐसा पहलू होगा जो मानवमात्र के मंगल की सद्भावना से छलक रहे पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के हृदय से अछूता रहा हो। धर्म का रहस्य, योग का सामर्थ्य, संस्कारों का सिंचन, ऐहिक तथा पारमार्थिक सफलता, व्यसनों, तनावों से मुक्ति, उत्तम स्वास्थ्य... हर विषय में पूज्य बापूजी के सत्संग-मार्गदर्शन से कितने करोड़ लोगों के जीवन में कितने विलक्षण और अभूतपूर्व परिवर्तन हुए, सब गणितज्ञ और विज्ञानी मिलकर भी उनकी गणना और बखान नहीं कर सकते।
आयुर्वेद विभाग, हिमाचल प्रदेश के उपनिदेशक डॉ. सुंदर शर्मा कहते हैं : " संत श्री आशारामजी आश्रम से हमें मानव-सेवा कैसे हो इसकी प्रेरणा मिलती है।"
निरोगी तन और प्रसन्न मन वाले व्यक्तियों को कर्म, भक्ति और ज्ञान के मार्ग पर दृढ़ता से चलने में बड़ी सुगमता होगी, इस बात को ध्यान में रखते हुए पूज्य बापूजी ने ब्रह्मज्ञान के सत्संग के साथ-साथ आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार भी व्यापकता से किया है।
चरक संहिता (सूत्रस्थान : १.१५) में लिखा है :
धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलमुत्तमम्।
'धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष - इन चारों पुरुषार्थों का मूल कारण आरोग्य ही है।'
पूज्यश्री ने यह भी बताया कि उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करने के पीछे मनुष्य का उद्देश्य शरीर को भोगप्राप्ति के साधनों में लगाना नहीं है अपितु जीवन की मूलभूत आवश्यकता अपने शाश्वत सच्चिदानंद स्वभाव की प्राप्ति में सक्षम बनना है।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin October 2022 sayısından alınmıştır.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"