...तब अंतःकरण प्रशांत होगा और ध्यान भी होगा
Rishi Prasad Hindi|August 2023
राग-द्वेष मनुष्य की शक्ति का ह्रास करता है
स्वामी अखंडानंदजी
...तब अंतःकरण प्रशांत होगा और ध्यान भी होगा

एक महिला ने एक महात्मा से पूछा: "ध्यान कैसे करें?"

महात्मा ने कहा: "ध्यान कैसे करें यह बाद में बतलायेंगे, पहले तुम यह दीपक उस कमरे में रख आओ।"

हवा चल रही थी। महिला ने दीपक उठाया, आँचल की आड़ की, धीरे-धीरे पैर उठाती गयी और कमरे में दीपक रख आयी।

महात्मा ने पूछा: "जब तुम दीपक ले जा रही थी तब तुम्हें कुछ याद आया?"

महिला ने कहा: "बिल्कुल नहीं। उस समय तो मुझे एक ही चिंता थी कि कहीं दीपक बुझ न जाय।"

महात्मा ने कहा: "बस, इसीका नाम ध्यान है। अपना मन एक ओर लगा दो।"

Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin August 2023 sayısından alınmıştır.

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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
Rishi Prasad Hindi

ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली

ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

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