एकादशी की उत्पत्ति कैसे हुई?
Rishi Prasad Hindi|November 2023
भारतीय संस्कृति में इहलोक और परलोक-दोनों को सँवारने के लिए शास्त्रोक्त विधि से व्रत-उपवास करने की बड़ी सुंदर व्यवस्था है। ९ दिसम्बर को पुण्यप्रद उत्पत्ति एकादशी है। आइये जानते हैं उसका माहात्म्य एवं कथा पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से :
एकादशी की उत्पत्ति कैसे हुई?

राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा : ‘‘भगवन् ! मार्गशीर्ष (अमावस्यांत मास अनुसार कार्तिक) माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की उत्पत्ति कैसे हुई और उसका नाम क्या है?"

श्रीकृष्ण ने कहा : "कुंतीनंदन ! सतयुग में मुर नामक दानव रहता था। उसने ऐसा अत्याचार शुरू किया कि मानव त्राहिमाम् पुकारने लगे। स्वर्गलोक में भी उसने धावा बोल दिया और देवता इधर-उधर भागते फिरने लगे। आखिर इन्द्र देवताओं को लेकर भगवान शिवजी के पास गये और स्तुति करके अपना हेतु निवेदित किया।

शिवजी ने कहा : "देवराज ! भगवान पुंडरीकाक्ष की शरण जाओ।’’

इन्द्र और देवताओं ने भगवान नारायण की स्तुति की और मुर के बारे में बताया।

भगवान बोले : ‘‘देवराज ! बलवानों का बल आत्मरूप से मैं हूँ, तुम क्यों घबराते हो ! वह दानव कैसा है, उसका बल कैसा है तथा उस दुष्ट के रहने का स्थान कहाँ है?"

इन्द्र बोले : ‘‘देवेश्वर ! ब्रह्माजी के वंश में तालजंघ असुर उत्पन्न हुआ था। उसका पुत्र मुर चन्द्रावती नगरी बनाकर रहता है। उसने समस्त देवताओं को परास्त कर उन्हें स्वर्गलोक से बाहर कर दिया है और एक दूसरे ही इन्द्र को स्वर्ग के सिंहासन पर बैठाया है। अग्नि, चन्द्रमा, सूर्य, वायु तथा वरुण भी उसने दूसरे ही बनाये हैं।"

Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin November 2023 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin November 2023 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

RISHI PRASAD HINDI DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
Rishi Prasad Hindi

ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली

ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

time-read
2 dak  |
December 2024
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
Rishi Prasad Hindi

पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत

१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

time-read
2 dak  |
December 2024
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
Rishi Prasad Hindi

पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान

(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)

time-read
2 dak  |
December 2024
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
Rishi Prasad Hindi

कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!

कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...

time-read
1 min  |
December 2024
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
Rishi Prasad Hindi

हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!

मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।

time-read
2 dak  |
December 2024
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
Rishi Prasad Hindi

पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश

'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष

time-read
2 dak  |
December 2024
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
Rishi Prasad Hindi

मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व

१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष

time-read
3 dak  |
December 2024
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
Rishi Prasad Hindi

समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति

२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।

time-read
2 dak  |
December 2024
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
Rishi Prasad Hindi

संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा

आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !

time-read
2 dak  |
December 2024
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
Rishi Prasad Hindi

ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?

एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"

time-read
1 min  |
December 2024