गोवध से आतीं प्राकृतिक आपदाएँ
भारतीय संस्कृति के दूरद्रष्टा के संत-महापुरुषों व शास्त्रों ने तो युगों से गाय की महत्ता उजागर करते हुए गौ को पूजनीय बताया है तथा गौपालन व गौ-संरक्षण की प्रेरणा दी है। वेद भगवान की आज्ञा है :
मा गामनागामदितिं वधिष्ट।
'गौओं को न मारें।'
(ऋग्वेद : मंडल ८, सूक्त १०१, मंत्र १५)
आज विज्ञान भी पशु-हत्या, गोहत्या से होनेवाले भयंकर दुष्परिणामों को उजागर कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्राणियों के कत्ल के समय उत्पन्न दारुण वेदना एवं चीत्कार से निःसृत तरंगें, जिन्हें आइंस्टीनियन पेन वेव्स भी कहते हैं, वे भूकम्प का कारण हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शोध कर यह घोषित किया कि 'गाय-बैल आदि के कत्ल से भूकम्प का सर्जन होता है।' इस तथ्य को दुनिया के अधिकांश वैज्ञानिकों ने मान्य किया।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin December 2023 sayısından alınmıştır.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
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समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।