केवल भारत की धरा ही नहीं अपितु व्यापक जनसमाज के हृदयों पर भी राज करनेवाले एवं समस्त विश्व को अपने आचार-व्यवहार, जीवन व विचारों द्वारा आदर्श जीवन-पद्धति की सुंदर शिक्षा देनेवाले भगवान श्रीरामचन्द्रजी का आदर्श चरित्र जनमानस के लिए युगों से अविस्मरणीय रहा है और आगे भी सदैव अविस्मरणीय रहेगा। लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद श्रीरामजी के जन्मस्थान अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्मित हुआ है। उसके उद्घाटन के अवसर पर जानते हैं रामजी के सद्गुणों एवं आदर्श जीवन के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
सबके आदर्श श्रीराम
रामावतार को लाखों वर्ष हो गये लेकिन श्रीरामजी अब भी जनमानस से विलुप्त नहीं हुए क्यों? क्योंकि श्रीरामजी का आदर्श जीवन हर मनुष्य के लिए अनुकरणीय है। रामायण में वर्णित यह आदर्श चरित्र विश्वसाहित्य में मिलना दुर्लभ है।
एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पिता, आदर्श शिष्य, आदर्श श्रोता, आदर्श वक्ता, आदर्श योद्धा, आदर्श राजा के रूप में यदि किसीका नाम लेना हो तो भगवान श्रीरामचन्द्रजी का ही नाम सबकी जुबान पर आता है। रामराज्य की महिमा आज लाखों-लाखों वर्षों के बाद भी गायी जाती है।
भगवान श्रीरामजी के सद्गुण ऐसे तो विलक्षण थे कि पृथ्वी के प्रत्येक धर्म, सम्प्रदाय और जाति के लोग उन सद्गुणों को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin January 2024 sayısından alınmıştır.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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