जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
Rishi Prasad Hindi|April 2024
२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी

हनुमानजी का पावन चरित्र, उनकी सेवानिष्ठा और अपने स्वामी के प्रति बिनशर्ती शरणागति हमें उच्च दृष्टिकोण विकसित करने तथा आध्यात्मिक पथ पर चलने की रीत सिखाते हैं। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

 भगवान श्रीरामजी हनुमानजी पर प्रसन्न हो गये। श्रीरामजी कहते हैं : "हनुमान ! और तो मेरे पास क्या है जो तुमको दूँ, तुमने जो कार्य किये हैं, जो सेवा की है और जिस प्रकार तुम तत्पर रहे हो उसका क्या बदला चुकाऊँ ? मेरी इन्द्रियाँ भी मेरी सेवा इतनी नहीं कर पायीं, मेरा शरीर भी मेरी इतनी सेवा नहीं कर पाया जितना तुम कर पाये। आ जाओ, तुमको मैं अपना हृदय दे देता हूँ।"

Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.

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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
Rishi Prasad Hindi

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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

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