यह शीतल, पित्त एवं वायु का शमन करनेवाला, शरीर- पुष्टिकर, वजन बढ़ाने में सहायक एवं वीर्यवर्धक है। यह बुद्धि व मेधा शक्ति वर्धक है तथा हृदय के लिए बलदायक है। इसके सेवन से नींद अच्छी आती है। इसके बीज कृमिनाशक हैं।
अम्लपित्त (hyperacidity), शरीर की जलन, सिरदर्द, नकसीर (नाक से खून आना), खूनी बवासीर, मूत्र की रुकावट एवं जलन, नींद की कमी, प्यास की अधिकता, श्वेतप्रदर एवं अत्यधिक मासिक स्राव आदि पित्तजनित समस्याओं की यह अक्सीर औषधि है। इससे बुखार व जलन शांत हो जाते हैं, बल बढ़ता है।
स्मरणशक्ति की कमी, पागलपन, मिर्गी आदि मानसिक समस्याओं, चर्मरोग, पुराना बुखार, शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी आदि में भी यह अत्यंत लाभदायी है।
आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार यह कैल्शियम, लौह, जस्ता एवं मैग्नेशियम का अच्छा स्रोत है। इसमें निहित एंटी ऑक्सीडेंट मधुमेह (diabetes), उच्च रक्तचाप (High B.P.), कैंसर आदि रोगों से सुरक्षा करने में सहायक है।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।