आयुर्वेद ने आँवले को के सर्वश्रेष्ठ रसायन (tonic) माना है। धन्वंतरि निघंटु अनुसार 'आँवला त्रिदोषनाशक उत्तम रसायन है।' यह नित्य सेवनीय द्रव्य है। किसी भी ऋतु, प्रकृति, देश, काल और आयु के लिए आँवला पथ्य है। कलमी आँवलों की तुलना में देशी आँवले खूब खूब लाभदायी होते हैं।
आँवले में अमृतसदृश गुण होने से इसे अमृतफल तथा मनुष्यों के लिए माता के समान उपकारी होने से धात्रीफल कहा गया है।
वैदिक काल से आँवलों का उपयोग होता है। च्यवन ऋषि आँवलों से बने च्यवनप्राश का सेवन कर वृद्ध से युवा हुए थे। आचार्य सुश्रुत ने आँवले को सभी फलों में श्रेष्ठ कहा है: फलेभ्योऽभ्यधिकं च तत्। आचार्य चरक आँवले को 'वयःस्थापन' अर्थात् अकाल वृद्धत्व को रोकनेवाला कहते हैं। वाग्भटाचार्य ने भी यौवन को स्थिर करनेवाले पदार्थों में आँवले को श्रेष्ठ माना है। स्वास्थ्य के लिए नियमित षड्रसयुक्त भोजन जरूरी होता है। आँवलों में लवण (नमकीन) रस छोड़कर बाकी पाँचों रस होते हैं। आँवला लवण रस विहीन होने से रसायन का काम करता है।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin September 2024 sayısından alınmıştır.
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