भारतीय संस्कृति की महान देन : आयुर्वेद
Rishi Prasad Hindi|October 2024
२९ अक्टूबर : राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर विशेष
भारतीय संस्कृति की महान देन : आयुर्वेद

भगवान धन्वंतरिजी

२९ अक्टूबर को भगवान धन्वंतरिजी की जयंती है, जो 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' के रूप में देशभर में मनायी जाती है । इस निमित्त पूज्य बापूजी की प्रेरणा से संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा विशेष कार्यक्रम किये जाते हैं।

आयुर्वेद की निरापद चिकित्सा-पद्धति भारतीय संस्कृति ऋषि-मुनियों द्वारा विश्वमानव को दी गयी अनमोल सौगात है। इसमें रोग-निवृत्ति हेतु कारगर औषधियों के साथ स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आदर्श दिनचर्या, ऋतु-अनुरूप आहार-विहार, संयम-सदाचार पालन के विभिन्न नियम आदि की सुंदर व्यवस्था है। पूज्य बापूजी स्वयं तो आयुर्वेद का लाभ लेते ही रहे हैं, अपने सत्संगों के माध्यम से लाखों-लाखों लोगों तक इसका ज्ञान पहुँचाकर उन्हें भी इसका लाभ लेने हेतु प्रेरित करते रहे हैं। आयुर्वेद की महत्ता के बारे में पूज्यश्री के सत्संग वचनामृत में आता है :

दिल में आयुर्वेद को रखो

आयुर्वेदिक औषधियों व उपचार की खोज ऋषियों द्वारा समाधिस्थ होकर की गयी है। भगवान ब्रह्माजी, जो सृष्टि के कर्ता हैं, सारे भुवनों के रहस्यों के जानकार हैं, उन्होंने समाधिस्थ होकर हमारे स्वास्थ्य के बारे में चिंतन किया और आरोग्य का पुनः प्राकट्य करने के लिए सच्चिदानंदरूप परमेश्वर से एक हो के आयुर्वेद को प्रकट किया। उनको खूब-खूब प्रणाम हैं!

Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin October 2024 sayısından alınmıştır.

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गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥

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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।

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चल दिये तो चल दिये...
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आत्मा के बाहर मत भटको। बाहर तुम्हारा कोई नहीं था, कोई नहीं है, कोई नहीं रहेगा। अपने केन्द्र में स्थित रहो, अपने आपे में आओ। पराये गाँव में कब तक भटकोगे? 'जरा यह कर लूँ, जरा वह कर लूँ...' आग लगा पेट्रोल डाल के। 'मैं और मेरे' पन को आग लगा दे मन से। ज्ञान पाना है कि बस संसार का टट्टू चलाते रहना है? ऐ जगत ! बस हो गया, तू कितने जन्मों से हमको भटकाता आया है !

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October 2024
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पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
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पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी

साधक : बापूजी ! जब सत्संग सुन के शांत होता हूँ तो ध्यान श्वासों पर केन्द्रित हो जाता है और श्वास बंद हो गये ऐसा लगता है, गहरी शांति आती है, आगे-पीछे की बातों का चिंतन नहीं रहता।

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अद्भुत हैं आँवले के धार्मिक व स्वास्थ्य लाभ!
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अद्भुत हैं आँवले के धार्मिक व स्वास्थ्य लाभ!

पद्म पुराण के सृष्टि खंड में भगवान शिवजी कार्तिकेयजी से कहते हैं : \"आँवला खाने से आयु बढ़ती है। उसका जल पीने से धर्म-संचय होता है और उसके द्वारा स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। कार्तिकेय ! जिस घर में आँवला सदा विद्यमान रहता है वहाँ दैत्य और राक्षस नहीं जाते। एकादशी के दिन यदि एक ही आँवला मिल जाय तो उसके सामने गंगा, गया, काशी, पुष्कर विशेष महत्त्व नहीं रखते। जो दोनों पक्षों की एकादशी को आँवले से स्नान करता है उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं।\"

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पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान
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'जीवन जीने की कला' श्रृंखला में इस अंक में हम जानेंगे पादपश्चिमोत्तानासन के बारे में। सब आसनों में यह आसन प्रधान है। इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

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