गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
Rishi Prasad Hindi|October 2024
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?

गोपाष्टमी सनातन संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से गायों और ग्वालों के सम्मान में कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है और उसे अत्यंत पवित्र माना गया है। यह गायों का आदर-पूजन कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह गायों के संरक्षण-संवर्धन की प्रेरणा देता है।

ऐसे करें गायों का पूजन

नारद पुराण में आता है कि 'कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में गोपाष्टमी का व्रत बताया गया है। उसमें गौओं की पूजा करना, गोग्रास देना, गौओं की परिक्रमा करना, गौओं के पीछे-पीछे चलना और गोदान करना आदि कर्तव्य हैं। जो समस्त सम्पत्तियों की इच्छा रखता हो उसे उपरोक्त कार्य अवश्य करने चाहिए।'

Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin October 2024 sayısından alınmıştır.

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आत्मानंद छोड़कर महापुरुष क्यों गाँव-गाँव घूमते हैं ?
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(पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से)

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साधिका बहन : बापूजी ! मैं बिहार में सेवाकार्यों को खूब बढ़ाना चाहती हूँ।

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'राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर' से युवाओं को मिली विलक्षण ऊर्जा व सही दिशा
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि। ६ से ८ दिसम्बर तक संत श्री आशारामजी आश्रम, अहमदाबाद में ‘राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर’ हुआ। विभिन्न राज्यों से युवा भाई इस तीन दिवसीय शिविर का लाभ लेने आश्रम में आये थे ।शिविरार्थियों ने पूज्य बापूजी के दुर्लभ विडियो सत्संगों द्वारा जीवन में उत्तरोत्तर सर्वांगीण उन्नति करने की कुंजियाँ पायीं। उन्हें पूज्य बापूजी के कृपापात्र शिष्य, अखंड ब्रह्मचारी श्री वासुदेवानंदजी द्वारा हुए सत्रों में सेवा-साधना संबंधी मार्गदर्शन मिला। शिविर की कुछ मुख्य विशेषताएँ

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देश की रीढ़ को टूटने से बचायें, सच्चे प्रेम दिवस की सुवास फैलायें
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१४ फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस भाई को युवती भाई कहने के लायक नहीं रह महापर्व है । युवा पीढ़ी को वेलेंटाइन डे की गंदगी से बचाने, उसे सही दिशा देने और सच्चे प्रेम की पहचान कराने के लिए पूज्य बापूजी ने २००६ में इसका शंखनाद किया था । आज यह पर्व विश्व के २०० से ज्यादा देशों में सभी जाति-धर्म, मजहब, पंथ के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसकी महत्ता व आवश्यकता :

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मैं हर समय तैयार रहता हूँ
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23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती है । इन राष्ट्रनायक की माँ उन्हें बचपन से ही संतों-महापुरुषों के जीवन-प्रसंग व शास्त्रों की बातें सुनाती थीं । यही कारण था कि उनका जीवन सनातन संस्कृति के ऊँचे सिद्धांतों और देशभक्ति, राष्ट्रसेवा के लिए समर्पण, तत्परता, अथक परिश्रम आदि दैवी गुणों से सुसम्पन्न था । उनके जीवन का एक प्रेरणादायी प्रसंग, जिससे ये सद्गुण प्रकट होते हैं :

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भगवान को वश करने का उपाय
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(पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से)'रामचरितमानस' के उत्तरकांड में भगवान श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा नगरवासियों को बुलाने की बात आती है।

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स्वामी योगेश्वरानंद गिरिजी : सनातन धर्म में जब-जब भी कोई संत-महात्मा अपने देश की सीमाओं से बाहर निकलकर कार्य करता है तो सेक्युलरिस्ट लोगों ने तय कर रखा है कि हिन्दुओं के स्वाभिमान पर चोट करनी है।

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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

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पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
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१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

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पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
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(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)

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December 2024