Sarita Magazine - April First 2024Add to Favorites

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In this issue

For more than 6 decades, Sarita has been one of the most trusted voices of social change.. The magazine features insightful commentary on social and political issues, thoughtful and entertaining fiction, as well as a distinctive mix of articles on subjects ranging from economy, travel, health, poetry, life and entertainment. It has remained one of most widely read Hindi magazines over the last seven decades.

इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी

भारतीय जनता पार्टी की सरकार इलैक्टोरल बौंड स्कीम यह कह कर लाई थी कि इस से कालाधन समाप्त होगा, मगर यह स्कीम तो भ्रष्टाचार को कानून का जामा पहना कर उसे वैध बनाने की करतूत साबित हुई. इस के तहत तमाम कंपनियों से करोड़ों रुपयों की धनउगाही की गई और बदले में उन को बड़ेबड़े धंधे दिए गए. सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद इस भ्रष्ट स्कीम के रहस्य खुल चुके हैं.

इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी

10+ mins

अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट

ट्रायल कोर्ट के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. जिन की क्षमता है वे तो राष्ट्रपति तक भी पहुंच रहे हैं. एक मुकदमा सालोंसाल लटका रहता है. न्याय की आस में दोनों पक्ष अपना सबकुछ गंवाते हैं. संविधान ने ट्रायल कोर्ट को सब से अधिक ताकत दी है. अगर ट्रायल कोर्ट मजबूत हो, मुकदमों में जल्द फैसला हो तो लोगों का न्याय पर भरोसा बढ़ेगा और अपीलें कम होंगी.

अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट

10 mins

हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ध्रुवीकरण का अब एक और दांव चल दिया है. सोचसमझ कर तारीख भी रमजान की चुनी. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से केवल कुछ गैरमुसलिमों को फायदा होगा पर आपसी मनमुटाव बढ़ेगा.

हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए

4 mins

सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक आजकल न्यायपालिका के कार्यक्रमों में पूजापाठ पर बात कहने का कोई मौका ही ढूंढ़ रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अति होने लगी है जिस की कोई भी बुद्धिमान, तार्किक व व्यावहारिक आदमी अब और ज्यादा अनदेखी नहीं कर सकता.

सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड

5 mins

एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली

प्रोफैसर साईबाबा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फुटबौल सा बन चुके हैं जो 8 वर्षों से किक ही खा रहे हैं. लेकिन उन की दास्तां दुखद रूप से दिलचस्प है जिस का सार यह है कि उन का मनोबल दक्षिणपंथियों से टूट नहीं रहा.

एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली

5 mins

मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले

जैसेजैसे औरतें शिक्षित हुईं, नौकरी में आगे बढ़ीं, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली गलत बातों पर आवाज उठाना भी आने लगा. आर्थिक मजबूती इंसान में हिम्मत लाती है. यही औरतों के साथ भी हुआ. अब पति की मारपीट व गालियां जब बरदाश्त नहीं होतीं तो वे तलाक का रास्ता अपनाने से गुरेज नहीं करतीं.

मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले

6 mins

महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देशभर में कई छोटेबड़े आयोजन हुए थे. उन समारोहों में अपने अपने क्षेत्रों की महिलाओं को सफल सम्मानित किया गया था और जम कर हुई भाषणबाजी में महिलाओं को देवी साबित करने का रिवाज भी कायम रहा था. वक्ताओं ने गागा कर बताया था कि आज महिलाएं किसी क्षेत्र में उन्नीस नहीं हैं. तमाम भाषणों का सार कुछ यों निकलता है.

महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं

5 mins

महिलाएं हक के लिए करें नौकरी

महिलाओं व पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता आज भी व्याप्त है. देखा गया है कि जो युवती आर्थिक रूप से मजबूत व आत्मनिर्भर होती है वह अपने निर्णय लेने में ज्यादा सक्षम होती है. लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए युवतियों का आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है.

महिलाएं हक के लिए करें नौकरी

8 mins

बीमारियों को न्योता देता मोटापा

मोटापा भारत समेत पूरी दुनिया की समस्या बनता जा रहा है. हालांकि यह समस्या ऐसी है जिसे वक्त रहते नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु उस के लिए सही आकलन करना जरूरी है. जानिए कि कब मोटापे का अलार्म बजने लगता है?

बीमारियों को न्योता देता मोटापा

2 mins

सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी

हाल के कुछ सालों में भारतीय सिनेमा तेजी से बदला है. कई फिल्में सरकारपरस्त और भगवा एजेंडे वाली बनी हैं. सरकारी व भगवा एजेंडे वाली फिल्मों की लंबी कतार आगे भी देखने को मिलेगी. पर इन का भविष्य क्या है?

सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी

6 mins

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Sarita Magazine Description:

PublisherDelhi Press

CategoryNews

LanguageHindi

FrequencyFortnightly

Sarita Magazine is a fortnightly Hindi magazine published by the Delhi Press Group. It was first published in 1945. The magazine targets women, and embodies the ideology of social and familial reconstruction.

Sarita Magazine is known for its wide range of content, including:

* Family stories: Sarita Magazine features stories about family relationships, including parent-child relationships, husband-wife relationships, and sibling relationships.
* Social issues: Sarita Magazine also covers a variety of social issues, such as gender equality, women's empowerment, and child welfare.
* Culture and tradition: Sarita Magazine also features articles on Indian culture and tradition, including festivals, customs, and beliefs.
* Health and lifestyle: Sarita Magazine also covers health and lifestyle topics, such as nutrition, fitness, and beauty.
* Fashion and entertainment: Sarita Magazine also features articles on fashion and entertainment, including the latest trends in clothing, movies, and music.

Sarita Magazine is a valuable resource for women who are interested in a variety of topics, including family, society, culture, health, lifestyle, fashion, and entertainment. It is a must-read for any woman who is looking to stay informed about the latest trends and developments in these areas.

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