अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट
Sarita|April First 2024
ट्रायल कोर्ट के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. जिन की क्षमता है वे तो राष्ट्रपति तक भी पहुंच रहे हैं. एक मुकदमा सालोंसाल लटका रहता है. न्याय की आस में दोनों पक्ष अपना सबकुछ गंवाते हैं. संविधान ने ट्रायल कोर्ट को सब से अधिक ताकत दी है. अगर ट्रायल कोर्ट मजबूत हो, मुकदमों में जल्द फैसला हो तो लोगों का न्याय पर भरोसा बढ़ेगा और अपीलें कम होंगी.
शैलेंद्र सिंह
अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज वर्तिका सिंह ' की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ मानहानि की शिकायत खारिज करने के एमपीएमएलए अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी.

हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने कहा कि पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए अगर याचिकाकर्ता को कांग्रेस पार्टी या गांधी परिवार से जुड़ा बताया गया तो यह उन की मानहानि नहीं है. वर्तिका सिंह ने ईरानी पर मानहानि का आरोप लगाते हुए सुल्तानपुर एमपीएमएलए अदालत में मामला दायर किया था. 21 अक्तूबर, 2022 को विशेष अदालत ने मामले को खारिज कर दिया.

वर्तिका सिंह का आरोप था कि जब पत्रकारों ने ईरानी से याचिकाकर्ता द्वारा उन के निजी सचिव के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा तो स्मृति ईरानी ने याचिकाकर्ता को कांग्रेस का 'मोहरा' बताया और कहा कि उन का गांधी परिवार से सीधा संबंध है. पत्रकारों के साथ ईरानी की पूरी बातचीत का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि संबंधित बयान देने से पहले स्मृति ईरानी ने अन्य मुद्दों पर बात की और इस दौरान उन्होंने याचिकाकर्ता का नाम भी नहीं लिया.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के बारे में पूछे जाने पर स्मृति ईरानी ने कहा था कि याचिकाकर्ता का कांग्रेस से संबंध था और उस का आपराधिक इतिहास भी था. कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. पीठ कहा कि अगर अदालत स्मृति ईरानी के बयानों पर गौर करे तो वे एक राजनीतिक दल की आलोचना कर रही थीं और उन का याचिकाकर्ता को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था. इसलिए स्मृति ईरानी के खिलाफ मुकदमा नहीं बनता है. कोर्ट ने वर्तिका सिंह की याचिका को खारिज कर दिया.

वहीं एक और मानहानि का मामला देखें तो वह एकदम उलट है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक जनसभा में 'मोदी सरनेम को ले कर टिप्पणी की. वह बात किसी व्यक्ति के खिलाफ पर्सनल नहीं थी. इस के बाद भी उन को 'ट्रायल कोर्ट' ने सजा सुना दी. सजा भी इतनी दी जिस से उन की लोकसभा सदस्यता चली जाए.

Bu hikaye Sarita dergisinin April First 2024 sayısından alınmıştır.

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