CATEGORIES
فئات
मुख्यमंत्री और राज्यपाल पद बिक रहे हैं
आजादी के बाद संवैधानिक रूप से देश में नेताओं का एक ऐसा समूह पैदा हुआ, जो आम जनता के बीच से निकल कर देशसेवा के नाम पर सत्ता का संचालन करने लगा.
लोकतंत्र और नरेंद्र मोदी का अंधा कुआं
देश में ऐसा पहले कभी न सुना गया और न ही हुआ है. भाजपा के नेतृत्व में नरेंद्र मोदी की सरकार जिस तरह संवैधानिक संस्थाओं पर अंकुश लगाती चली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए एक अंधा कुआं बन कर सामने आ सकता है.
जरूरी नहीं है कावड़ यात्रा
कदमों को सही दिशा में ले जाएं
द्रौपदी मुर्मू : 'राष्ट्रपत्नी' विवाद और संसद
देश को विकास के जिस रास्ते पर दौड़ना चाहिए, उस की जगह संसद में राष्ट्रपति और 'राष्ट्रपत्नी' का प्रायोजित विवाद देश के लिए दुखद है. संसद से बाहर कहे गए 'राष्ट्रपत्नी' शब्द के लिए संसद के भीतर बवाल मचाना सत्ता पक्ष की देश के प्रति जवाबदेही पर सवालिया निशान है.
क्यों नहीं डर कानून का?
भीड़ का गुस्सा भयावह होता जा रहा है. विरोध करने के चक्कर में सार्वजनिक जगहें और दूसरी चीजें निशाना बनती हैं.
सफर का मजा लेना ही मेरा मुकाम है - रवि गोसाईं
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, पंकज पाराशर, केतन मेहता और गुलजार ऐसी 5 नामचीन हस्तियां हैं, जिन के साथ काम करने की तमन्ना हर कलाकार को होती है. और अगर कोई अपने फिल्मी सफर के पहले 5 साल में ही इन दिग्गजों की रचनाओं का हिस्सा बन जाए, तो उसे रवि गोसाईं कहते हैं.
राष्ट्रपति का पद कोई 'पिकनिक' है?
देश में 15वें राष्ट्रपति पद का चुनाव पूरा हो गया. संविधान में राष्ट्रपति पद को महिमा के साथ पेश किया गया है. एक विशिष्ट विशेषण महामहिम के साथ.
मोबाइल फोन रिपेयरिंग : धन बरसा सकता है यह धंधा
मोबाइल फोन ने दुनियाभर में एक ऐसी क्रांति ला दी है कि लोग एक वक्त की रोटी के बगैर रह सकते हैं, पर इस छोटे से उपकरण के बिना नहीं शहरों की तो छोड़िए, अब दूरदराज के गांवदेहात में भी मोबाइल फोन की खनकती घंटी का शोर सुना जा सकता है. कई लोग तो एक बार में एक से ज्यादा फोन हाथ में पकड़े देखे जा सकते हैं.
जजों के निशाने पर याचिका दायर करने वाले
छत्तीसगढ़ में 16 आदिवासी एक मुठभेड़ में मार दिए गए थे. आरोप यह भी है कि तभी एक मासूम बच्चे की उंगलियां भी काट दी गई थीं. उसी वक्त साल 2009 में जांच के लिए आदिवासी ऐक्टिविस्ट हिमांशु कुमार ने एक याचिका डाली थी. तब से साल 2022 तक इस याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हुई है.
उछलता डौलर मोदी की चुप्पी
जिस डौलर के मसले पर प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी डाक्टर मनमोहन सिंह की केंद्र सरकार और सोनिया गांधी को घेरते थे, देश की जनता को डराते थे, लाख टके का सवाल है कि आज उसी मुद्दे पर वे चुप क्यों हैं?
धर्म के डर की देन है नरबलि
आज भी देश में तंत्रमंत्र, दकियानूसी मान्यताएं और नासमझी इतनी ज्यादा हावी है कि लोग अपने फायदे के लिए दूसरे का नुकसान करने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं. ऐसा ही कुछ हाल ही में हुआ, जब एक मंदिर की चौखट पर एक सिरफिरे ने किसी नौजवान की कुल्हाड़ी से वार कर के हत्या कर दी.
असभ्य आईना दिखाती पंचायतें
समाज और धर्म के ठेकेदार बन कर अराजक व निठल्ले लोगों के समूह पंचायत कर के कई बार प्यार करने वालों को शर्मसार करने वाली मनमानी सजाएं देते हैं. न कानून, न कानून के पहरेदार, न अदालत और हो जाता है कबिलाई फैसला. इस से सामाजिक और मानसिक दर्द के साथ ही जिल्लत उठानी पड़ती है.
आम घरों की लड़कियों को इस अंदाज में मिली आज़ादी
सरकार इस बार आजादी के 75 साल का जश्न मना रही है. इन 75 सालों में देश में काफी बदलाव हुआ है, जो काफी हद तक देश को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है. इस में गांवदेहात और शहरों की आम लड़कियों की पढ़ाईलिखाई ने उन्हें आगे बढ़ने के कई मौके दिए हैं, पर अगर गौर से देखा जाए तो आज भी ऐसी लड़कियां अपनी बात कहने में झिझकती हैं. उन्हें अपने छिपे हुनर को दिखाने का ज्यादा मौका नहीं मिला है.
आजादी के बाद आबाद होता गया भोजपुरी सिनेमा
साल 1913 में जब पहली बार दादा साहब फालके ने फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनाई थी, तब देश अंगरेजी हुकूमत के अधीन था. उस समय देश की जनता के लिए अंगरेजी हुकूमत के साए में फिल्में देखना आसान नहीं था. चूंकि 'राजा हरिश्चंद्र' एक मूक फिल्म थी, इसलिए दर्शकों को समझाने के लिए दादा साहब फालके ने इस फिल्म के दृश्यों के साथ शब्दों का इस्तेमाल किया था, जो देश की 3 भाषाओं में थे.
बंदिशों और रूढ़ियों को तोड़ बदली औरतों की जिंदगी
आज से 35-40 साल पहले के गांवों में औरतों के लिए दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे से हो जाती थी. इस की वजह यह थी कि उजाला होने से पहले उन्हें शौच आदि से निबट जाना होता था. उस समय तक गांव के मर्द सो रहे होते थे.
सांप्रदायिक नफरत का घिनौना अंजाम
कन्हैयालाल हत्याकांड
मैं अब विवादों में कम रहना चाहती हूं - पायल रोहतगी
'मिस इंडिया' प्रतियोगी में हिस्सा ले चुकीं फिल्म कलाकार पायल रोहतगी साल 2008 में आए एक टैलीविजन रिएलिटी शो 'बिग बौस' में भी अपना दम दिखा चुकी हैं. हाल ही में वे टैलीविजन रिएलिटी शो 'लौकअप' में बतौर प्रतियोगी नजर आई थीं. इस शो को हीरोइन कंगना राणावत ने होस्ट किया था.
भारतीय जनता पार्टी ने क्यों खेला यह दांव?
आदिवासी महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार
बढ़ाने के चक्कर में कहीं कम न हो जाए सैक्स पावर
आदत तो शादी के पहले से ही पड़ गई थी, लेकिन अब यह लत बन चुकी है, इस का एहसास प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के 28 साला राहुल को शादी के बाद हुआ. अपनी नईनवेली पत्नी के साथ जोरदार और पलंगतोड़ हमबिस्तरी करने की ख्वाहिश में उस ने वियाग्रा नाम की दवा की जरूरत से ज्यादा खुराक यानी ओवर डोज ले ली.
बनिए नलसाज : कमेरों का शानदार रोजगार
कुछ दिन पहले जब हमारे बाथरूम के वाशबेसिन में कुछ समस्या आई, नलसाज को बुलाया गया. नलसाज मतलब प्लंबर. उस ने आते ही कुछ मिनटों में वाशबेसिन ठीक कर दिया और अपने मेहनताने के तौर पर 100 रुपए ले लिए. सामान का खर्च अलग से था.
जूही के मंडवे तल
कहानी - जूही के मंडवे तल
फुटपाथ पर सोना शौक नहीं मजबूरी
फुटपाथ पर रहने वालों की जिंदगी पर डायरैक्टर विक्रम भट्ट ने साल 2003 में फिल्म 'फुटपाथ' बनाई थी. इस फिल्म में आफताब शिवदासानी, राहुल देव, बिपाशा बसु और इमरान हाशमी ने काम किया था.
कूबड़
कहानी - कूबड़
कौन होगा शिव सेना का असली हकदार?
महाराष्ट्र में सत्ता की उथलपुथल के साथ आज एक ही सवाल फिजा में अपनी गूंज के साथ तैर रहा है कि आखिरकार बाला साहब ठाकरे की बनाई गई शिव सेना का असली हकदार कौन बनेगा ? देश का कानून, राजनीतिक पार्टियों का संविधान और निर्वाचन आयोग का ऊंट किस करवट बैठेगा?
कंजूसी नियामत या आफत
अपने खर्चों में से कंजूसी कर के कुछ रुपए बचत के तौर पर बचाना परिवार के लिए जरूरी है, चाहे वह मिडिल क्लास परिवार हो या फिर उच्च क्लास, क्योंकि रुपयों की जरूरत भी हर इनसान को रहती है. कोविड के संकट ने साफ कर दिया कि लाखों रुपए का खर्च कब अचानक सिर पर आ जाए, पता नहीं.
सैनिकों की शहादतों का सिलसिला जारी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के लिए शहीद होने वाले कुल जवानों में से तकरीबन 78,000 (एकलौते बेटे) जवान कुंआरे या शादी के तुरंत बाद शहीद हो गए यानी कोई बच्चा होने से पहले ही धरती से विदा हो गए. एक नजरिए से देखा जाए, तो 78,000 परिवार ही खत्म हो गए.
शस्त्र
"मैं इस लड़की से शादी नहीं करूंगा, क्योंकि इसे एड्स है, " मोहन ने शोभा के घर में सभी के सामने कह दिया.
विकास का बजता ढोल और मरते लोग
एक तरफ बिहार सरकार विकास का ढोल पीट रही है, वहीं दूसरी तरफ समस्तीपुर जिले के एक ही परिवार के 5 सदस्यों ने माली तंगी से ऊब कर फांसी लगा ली. मरने वालों में मनोज झा, उन की मां सीता देवी, पत्नी सुंदरमणि देवी, बेटे सत्यम और शिवम शामिल हैं.
रंग बदलती भारतीय जनता पार्टी
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी और दिल्ली के मीडिया प्रमुख नवीन जिंदल की इसी तरह की टिप्पणी से नाराज खाड़ी देश कतर, कुवैत, ईरान और सऊदी अरब व पाकिस्तान के साथसाथ दुनियाभर के कई देशों ने आड़े हाथ लेते हुए भारतीय राजदूतों को तलब किया.
जब मुझे बंगला छोड़ कर झोंपड़पट्टी में रहना पड़ा - साहिल एम. खान
इंदौर के बाशिंदे साहिल एम. खान की गिनती आज बेहतरीन डांसर व ऐक्टर के रूप में होती है. वे फर्राटेदार इंगलिश भी बोलते हैं, मगर बहुत कम लोगों को पता होगा कि पिता की अचानक मौत के चलते उन की स्कूली पढ़ाईलिखाई तक रुक गई थी. उन के मातापिता ने जातिधर्म के बाहर शादी की थी.