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जिंदगी लॉकडाउन के बाद
लॉकडाउन के खत्म होने के साथ एक नई और चौकन्नी दुनिया में कदम रखते वक्त हमारी जिंदगी को परिभाषित करने वाले सामाजिक शिष्टाचार के नियम पूरी तरह बदल जाएंगे
जाएं तो जाएं कहां
प्रवासी मजदूरों की जिंदगी भारत में कभी आसान नहीं रही मगर लॉकडाउन के दौरान उनकी तकलीफ, अनदेखी और अकेलापन राष्ट्रीय शर्म से कम नहीं
वायरस की अबूझ पहेली
कोविड केवल वायरल न्यूमोनिया भर नहीं है, यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को प्रभावित कर रहा है और जो लोग पहले से ही दूसरी बीमारियों से ग्रसित हैं उनके जीवन को सर्वाधिक जोखिम में ला देता है
रहमत के फरिश्ते
अपनी जिंदगी और परिजनों से दूर, दो-टूक प्रतिबद्धता और दैवीय चमत्कार-सी कोशिशों के साथ कोविड के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे के इन डॉक्टरों पर चिकित्सा शास्त्र के नैतिक पहरुयों को नाज होगा
संकटग्रस्त शहर
मुंबई में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा मामले हैं. आखिर कैसे खड़ी होगी देश की आर्थिक राजधानी फिर से अपने पैरों पर?
संकमोचन का सम्मान
कोविड की चुनौती के बीच देश का हाल दुरुस्त रखने के लिए आम हिंदुस्तानियों की अदृश्य फौज ने मैदान में उतरकर मोर्चा संभाला
मदद को आगे बढ़ा हाथ
सऊदी अरब से 18 मार्च को लौटने के बाद श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती हुई महिला जांच में कोविड-19 से पीड़ित मिली. वह कश्मीर में कोरोना की पहली रोगी थी. यह खबर पाते ही श्रीनगर जिला प्रशासन ने कठोर लॉकडाउन लागू कर दिया.
परदेस से लौटने की मजबूरी
खाड़ी देशों से केरल के आप्रवासियों का बड़े पैमाने पर लौटना मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की नए मौके खुलने की उम्मीद के लिए बन सकता है चुनौती
प्रवासी दुविधा
बिहार के पूर्वी चंपारण के मूल निवासी 30 वर्षीय मिस्त्री राकेश पासवान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसी तरह अपना गुजारा कर लेते थे. पर 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद उनके सामने बेरोजगारी और भूख का संकट आ खड़ा हुआ.
जहान बचाने की जिम्मेदारी
मोदी सरकार के लिए मनरेगा कांग्रेस की विफलता का स्मारक था, लेकिन इसी पर है महामारी में गांव लौटते मजदूरों को रोजगार देकर अर्थव्यवस्था की नब्ज थामने की जिम्मेदारी
बदलाव का वक्त
ऑनलाइन कक्षाओं की संपूर्ण गाइड और उससे शिक्षा हासिल करने के सबसे बेहतर तौर-तरीके
मोर्चे पर सबसे आगे
कोरोना वायरस के खिलाफ असली लड़ाई का मैदान तो देश के जिले हैं, जहां प्रशासनिक अधिकारी महामारी से निपटने के दौरान गढ़ रहे हैं नई इबारतें
आपकी नौकरी कितनी सुरक्षित?
महामारी की मार से कोई काम-धंधा और उद्योग बचा नहीं मगर कुछ पर तो संकट अधिक गहरा. तनख्वाह कटौती, छंटनी या और भी बुरे हालात की आशंका
सारे सितारे जमीन पर
सिनेमाघर बंद, शूटिंग ठप और रिलीज टलने के साथ भारतीय फिल्म उद्योग बड़े धक्के से उबरने की कसमसाहट में. नुक्सान की थोड़ी-बहुत भरपाई के लिए निर्माताओं की नजर अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर
जांच किट पर आंच
चीनी रैपिड ऐंटीबॉडी टेस्टिंग किट पर मचे हंगामे ने 'खराब' उपकरण से लेकर लंबी आपूर्ति श्रृंखला और व्याख्या की असहमतियों और मुनाफाखोरी तक की अनेक परेशानियों का पर्दाफाश किया
बम पर बैठा मुंबई
समुद्र किनारे बसे इस शहर की सबसे घनी बस्ती अब कोविड-19 का हॉटस्पॉट है. सामाजिक दूरी न होना धारावी में गंभीर चिंता की वजह क्यों है
सुनहरी फसल
सरकार रबी की फसल से अधिक पैदावार के लिए हर उपाय अपनाने को तैयार, आखिर दांव पर लगी है 20 करोड़ किसानों आजीविका - और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की फौरी जरूरत
कोविड के अचूक इलाज की तलाश
डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि कोरोना का कहर और खतरनाक रूप ले सकता है तथा इसका टीका तैयार होने में अभी कम से कम एक साल का वक्त लग सकता है. भारत और दुनिया को कोविड-19 को हराने और उसक सटीक इलाज विकसित करने के लिए वक्त को मात देनी होगी
फिर शुरु करने की मुश्किलें
व्यवसायों को टुकड़ों-टुकड़ों में दोबारा खोलने की सरकार की योजना के पीछे इरादा तो अच्छा था पर जटिल दिशानिर्देशों, आपूर्ति श्रृंखला में उथल-पुथल और मांग में भारी कमी ने सब गड़बड़ कर दिया
कोरोना ने धीमा किया विकास का पहिया
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन ने उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का काम ठप कर दिया था. इन्हें फिर से रफ्तार देने के लिए सरकार ने कसी कमर
मोक्षद्वार पर सन्नाटा
कोरोना महामारी के दौर में हमेशा के लिए साथ छोड़ते प्रियजनों का अंतिम दर्शन तक भी कर पाना दुश्वार हुआ. अंत्येष्टि के रस्मोरिवाज भी बदलने पड़ रहे
भविष्य का झरोखा
शानदार प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र नए स्नातकों में क्या तलाश कर रहे हैं और वे क्या प्रदान करते हैं
महामारी की जांच में खामियां
भारत की जांच रणनीति मुकम्मल होने से कोसों दूर है. अभी ये टेस्ट किट हासिल करने, बीमारी का दायरा समझने और माकूल जवाबी कार्रवाई तय करने की जद्दोजहद कर रही है
कोरोना की नियंत्रण रेखा
हॉटस्पॉट और उनके भीतर कंटेन्मेंट जोन वे क्षेत्र हैं जहां विशेष जोर देकर सरकारें लॉकडाउन की बढ़ाई गई अवधि का अधिकतम लाभ उठा सकती हैं
केरल ने कैसे पाया काबू
दक्षिण के इस राज्य का कोविड-19 महामारी से लड़ने का कौशल और स्वास्थ्य तंत्र का अफसाना जानने लायक है. दूसरे भी ले सकते हैं इससे सबक
कैसे हो वापसी की रणनीति कारगर
अहम यह है कि संक्रमण के दूसरी बार प्रकोप की आशंका से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जाए, जरूरतमंदों को पर्याप्त राहत मुहैया कराया जाए और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया जाए
बदहाली से उबरने की मुश्किल राह
लॉकडाउन से ठप हुई अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए बेहद साहसी कदम की दरकार, विशेषज्ञों की राय में जीडीपी के 5 फीसद या करीब 10 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त भारी-भरकम प्रोत्साहन पैकेज से कम में नहीं बनेगी बात
आपदा से जंग को तैयार होते अस्पताल
वैश्विक महामारी कोविड-19 से जंग के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है और लंबे समय के लिहाज से चिकित्सा और अन्य आवश्यक इंतजाम किए जा रहे हैं
अब भगवान का भी नहीं सहारा !
जिन पूजास्थलों में रोज गूंजते थे लाखों के जयकारे, आज वहां सन्नाटा. कोरोना त्रासदी के दौर में लॉकडाउन ने भक्तों को किया भगवान से दूर
कोरोना का कलंक
देशव्यापी तलाशी अभियान का दंश तब्लीगी जमात झेल रही है. कोविड-19 के तीव्र-प्रसार में जमात के लोगों की बेइरादा भूमिका ने उन्हें भय और घृणा का लक्ष्य बना दिया है