CATEGORIES
فئات
दलबदल तो पौराणिक है
जब लालच में या डर में नेता दूसरी पार्टी में खिसक लेते हैं, तो यह आज की दलबदल राजनीति नहीं, बल्कि पौराणिक संस्कृति है जिस पर हम फूले नहीं समाते.
“काम को जिंदगी का हिस्सा बनाएं" अहम शर्मा
बिहार की ग्रामीण पृष्ठभूमि से मुंबई की चमकधमक में कदम रखने वाले अहम शर्मा को शुरू में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने टीवी इंडस्ट्री के साथ फिल्म इंडस्ट्री में धीरेधीरे ही सही अपने पैर जमा लिए हैं.
हिंदी क्षेत्र में साउथ सिनेमा के जमते पैर
मुंबई के कट्टरपंथी और पुरातनी सिनेमा निर्माता तो सामाजिक चुनौतियों को लेने को तैयार नहीं हैं पर डबिंग के सहारे दक्षिण के निर्माता पिछड़ों व दलितों के इर्दगिर्द बनने वाली फिल्मों को 1970 के दशक के बाद एक बार फिर हिंदी परदे पर ला रहे हैं.
सांभरवड़ा की यूट्यूब विधि
'अच्छे दिन' तो बस एक मुहावरा ही है, जो सुनने में तो अच्छा लगता पर अच्छे दिन कभी आते नहीं. श्रीमतीजी का सांभरवड़ा बना कर खिलाने का अच्छे दिन का वादा प्रधानमंत्री के जैसा ही रहा.
पैसा ही शक्ति है
सफलता के लिए पैसे बहुत जरूरी हैं. आप की सोच और क्रिएटिविटी उस के बिना बेकार है. पैसे को भक्ति के चक्कर में बरबाद हरगिज न करें.
पंच प्यारे बनेंगे सियासी शतरंज के नए सितारे?
मौजूदा राजनीति अब एक नए मोड़ पर खड़ी है जहां सारी लड़ाई भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की है. विपक्ष को भी अब समझ आ गया है कि भाजपा को हराने के लिए उसे आपस में तालमेल बैठाना ही पड़ेगा ठीक उसी तरह जैसे अतीत में कांग्रेस के खिलाफ गैरकांग्रेसी पार्टियों ने बैठाया था.
धर्म का टैक्स डर का हथियार
डर एक सामान्य मनोभाव है जिस के धर्म की गिरफ्त में जाते ही उस का व्यवसाय शुरू हो गया. लोगों को तरहतरह के धार्मिक डर दिखा कर उन से पैसा झटका जाता है. जब युग तर्क, तथ्य और तकनीक का हो तो धर्म के नाम पर पैदा किया गया डर एक बड़ी रुकावट भी है और जेबों पर भारी डाका भी.
दूसरी औरत के सुबूत पति से छूट जाते हैं करतूतों के संकेत
पतिपत्नी के बीच किसी तीसरी की एंट्री शादीशुदा जीवन में खलल डालती है. ऐसे में सुखशांति को बनाए रखने के लिए पत्नी को उस तीसरी का पता लगाना चाहिए. पत्नियां जानें पति में उन बदलावों को जिन से तीसरे का पता लगाया जा सके.
तुम देना साथ मेरा
कहते हैं कि प्यार अगर असल है तो किसी भी परिस्थिति में कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता ही है. नैनीताल में हुए जानलेवा हादसे में अजय ने अपनी टांगें भले गंवा दीं पर नेहा का प्यार कम होने की जगह नए रूप में बढ़ता हुआ सामने आया, पर एक दिन...
टौक्सिक मैरिज अच्छी या डाइवोर्ड पैरेंट्स
टौक्सिक मैरिज को आप सिर्फ अपने बच्चे की खुशी व उस के आने वाले जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए निभा रहे हैं तो आप को इस पर विचार करना चाहिए.
अल्जाइमर्स मरीज दवा भी और अपनों का साथ भी
आमतौर पर अल्जाइमर्स यानी भूलने की बीमारी बुजुर्गों को होती है, पर अब युवाओं में भी इस के मामले आने लगे हैं. इस बीमारी में दवा के साथसाथ मरीज के साथ उचित व्यवहार बरतने की जरूरत होती है.
अमीर आसमान में गरीब दलदल में
इंसान की यदि एक उंगली टांग बराबर हो और दूसरी नाखून बराबर तो कैसा लगेगा? जाहिर है इसे विकृति से जोड़ा जाएगा. सच मानो इस समय देश आर्थिक गैरबराबरी वाली इसी विकृति से ग्रसित है. यहां किसी के पास खाने को रोटी नहीं तो किसी दूसरे का उस की रोटी पर कब्जा है.
“निजी समीकरण के आधार पर फिल्में व सीरियल बन रहे हैं"- देवेंद्र खंडेलवाल
देवेंद्र खंडेलवाल मल्टीटैलेंटेड पर्सनैलिटी हैं. वे अभिनेता, लेखक, निर्माता व निर्देशक रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन में 550 से अधिक डौक्यूमैंट्री और ऐड फिल्में बनाई हैं, जिन के लिए 'लिम्का बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड' में उन का नाम दर्ज है.
अधिकार
लक्षिता ने लजीज खाना बनाया, पर उस खाने की तारीफ न किया जाना उस के अहम को चोट पहुंचा गया. लक्षिता नाराज हो कर मायके आ गई. सच जानने के बाद उस के मम्मीपापा ने जो काउंसलिंग की, क्या उस से उसे एहसास हुआ कि उस ने कुछ गलत किया है? क्या लक्षिता को अपराधबोध हुआ? क्या वह अपने पति लव्य के पास लौटी?
उस की डायरी
12 साल बाद शिशिर जब विदेश से घर लौटा तो उसे अपनी पहली पत्नी नेत्रा की पर्सनल डायरी मिली. वही नेत्रा, जिसे उस ने गंवारू और चरित्रहीन कह कर तलाक दिया था. आखिर उस डायरी में ऐसा क्या लिखा था जिसे पढ़ कर उस के पैरोंतले जमीन खिसक गई?
वास्तु तर्क पर भारी पड़ता वहम
देश में आज भी ऐसे लोग हैं जो अजीबोगरीब अंधविश्वासों से घिरे हुए हैं. गरीब टोनाटोटका से घिरे रहते हैं तो पौश वास्तुदोष में फंसे रहते हैं. अधिक दिक्कत इन्हीं शिक्षित पौश लोगों से है जो पढ़लिख कर भी अंधविश्वासों को अपना रहे हैं.
'इनसाइड ऐज' क्रिकेट के मैदान पर जातिवाद के सुलगते सवाल
मैदान से होते हुए क्रिकेट की अंदरूनी हकीकतों से रूबरू कराती 'इनसाइड ऐज' जातिवाद के ऐसे सवालों को उठाती है जो बहुतकुछ सोचने पर मजबूर करते हैं.
पैरेंट्स से दूरी नहीं बढ़ाएं नजदीकियां
पेरेंट्स अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहते, सभी अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बनते देखना चाहते हैं. हो सकता है समझनेसमझाने के तरीकों में अंतर हो, पर सभी मातापिता बच्चे की खुशी चाहते हैं. अब तय यह करना है कि पेरेंट्स से बढ़ रही दूरी को नजदीकियों में कैसे तबदील करें.
गृहयुद्ध के मुहाने पर कजाखिस्तान
कजाखिस्तान में जारी हिंसा के पीछे वजहें गहरी हैं. इस के पीछे तख्तापलट की कोशिशें, उस के तेल भंडारों पर रूस व चीन की गिद्ध नजरें और कब्जे की बढ़ती आकांक्षा जिम्मेदार हैं.
मोक्ष के लिए आत्महत्या और हत्याएं
मोक्ष का जिक्र हर धर्म में है. यह इसलिए ताकि मेहनत का फल मांगने वालों को उन के मेहनताने से दूर किया जा सके व उन्हें पंडेपुजारियों द्वारा समझाया जा सके कि असल फल या मुक्ति तो मोक्ष मिलने पर है. आज भी इस काल्पनिक मोक्ष के चक्कर में कई परिवार उजड़ रहे हैं.
नरेंद्र मोदी : सत्य को मरोड़ने के प्रयोग
पंजाब में सुरक्षा मसले पर घटी घटना को किसी बड़े षड्यंत्र की शक्ल दी जा रही है. लोगों को बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की जान खतरे में थी. सवाल यह है कि क्या सच में प्रधानमंत्री की जान का खतरा था या यह महज राजनीतिक स्टंट था? अतीत में प्रधानमंत्री मोदी की कथनी और करनी बहुतकुछ बताती है.
विधानसभा चनाव 2022 भगवा एजेंडे की परीक्षा
देश का भगवा गैंग चाहता है कि सरकार चलाने के लिए कुरसी पर चाहे जो बैठा हो पर सरकार ऋषिमुनियों के इशारे पर चले. इसलिए 5 राज्यों के चुनावों में उस की राजनीतिक इकाई भाजपा की जीत, खासकर योगी आदित्यनाथ की जीत, उस के सपनों की जीत साबित होगी.
जमीनी हकीकत के करीब होते हैं निकाय चुनाव
निकाय चुनावों में जनता सीधे अपने क्षेत्र के नेताओं से जुड़ कर वोट करती है, जिस में सड़क, पानी, नाली व निकासी जैसे बुनियादी मुद्दे अहम होते हैं. इन चुनावों में अधिकतर जगह भाजपा की हार बता रही है कि लच्छेदार हवाहवाई बातों के इतर बुनियादी मुद्दों में भाजपा विफल हुई है.
तलाक की कानूनी त्रासदी
शादी के बाद पतिपत्नी के बीच यदि सब ठीक नहीं चल रहा, कोई विवाद खड़ा हो गया तो उन के आगे तलाक का विकल्प होता है, पर तलाक लेने गए दंपती को एड़ीचोटी घिसनी पड़ जाती है. इस दौरान उन्हें घुटघुट कर जीना पड़ता है. सवाल यह है कि जब तुरंत शादी की व्यवस्था है तो तुरंत तलाक की क्यों नहीं?
बढ़ता प्रदूषण बेऔलाद न कर दे
भारत के कुछ शहर दुनिया में प्रदूषण की रैंकिंग में टौप पर हैं. इस समस्या को गंभीरता से विचारने की सख्त जरूरत है, क्योंकि प्रदूषण न सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को जन्म दे रहा है बल्कि याद्दाश्त और प्रजनन शक्ति को भी घटा रहा है.
उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग भाजपा बैकफुट पर
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने जिस तरह रणनीति बनाई है और सत्ताधारी भाजपा की हर चाल की वे काट कर रहे हैं, उस से लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में यह विधानसभा चुनाव भगवाई पार्टी के लिए 'वाटरलू' साबित होने जा रहा है.
किसानों पर मुकदमे कब होंगे वापस
मौजूदा सरकार देशद्रोह, यूएपीए, 144, एपिडेमिक एक्ट जैसे कानूनों का इस्तेमाल अपने खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने के लिए कर रही है, जबकि, प्रजातंत्र में जनता सरकार को चुनती है और उसे सरकार की आलोचना करने का हक भी होता है.
वामिका गब्बी
वर्ष 2007 में आई 'जब वी मैट' फिल्म से ले कर हाल ही में रिलीज हुई '83' फिल्म तक, वामिका गब्बी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही हैं. आज उन के पास कई बड़े फिल्मी प्रोजैक्ट्स हैं. यह सब उन के कुछ अलग करने जनून का के नतीजा है.
पिता की भूमिका मां से कम नहीं
समाज बदल रहा है, महिलाएं बाहर निकल पुरुषों से कंधे से कंधा मिला रही हैं. ऐसे में पुरुषों को महज वीर्यदान और संसाधन जुटानेभर तक सीमित रखना ठीक नहीं है, उन्हें पितृत्व का एहसास कराया जाना भी जरूरी है.
कोरोनाकाल पुरुष मांज रहे बरतन
कोरोना महामारी ने भले ही चीजें अस्तव्यस्त की हों, पर इस से उभरे अच्छे बदलावों में एक यह है कि अब पुरुष भी घरों में काम करने लगे हैं, जिन में में बरतन साफ करना सब से ज्यादा सहजता से स्वीकारा जा रहा है. बरतन मांजना एक कला है, इसलिए जरूरी है कि पुरुष इस की अहमियत को समझें और जानें कि इस में लगने वाले श्रम और समय की भी एक कीमत है.