मूंग की खेती खरीफ, रबी व जायद मौसम में की जा सकती है। राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा व तमिलनाडु, मूंग उत्पादन में अग्रणी प्रदेश हैं। मूंग खरीफ में उगाई जाने वाली एक प्रमुख दलहनी फसल है। भारत में मूंग की खेती 3.83 मिलियन हैक्टेयर में वर्ष 2015-16 के दौरान हुई तथा उत्पादन 1.6 मिलियन टन रहा। विगत वर्षों में मूंग के उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 1964-65 में उत्पादन लगभग 0.60 मिलियन टन था, जो वर्ष 2015-16 में बढ़ कर 1.60 मिलियन टन हो गया। गत वर्षों में वैज्ञानिकों ने अल्प अवधि की पीली चितेरी रोग रोधी प्रजातियाँ विकसित करने में सफलता प्राप्त की। इन प्रजातियों को विभिन्न फसल चक्रों में उगाया जा सकता है। पानी की समुचित व्यवस्था होने पर मूंग को गेहूं-धान फसल चक्र में लगाया जा सकता है। जायद में मूंग की खेती सिंचित क्षेत्रों में की जाती है। खरीफ में मूंग मुख्यतः असिंचित क्षेत्रों में लगाया जाता है। मूंग के दानों में प्रोटीन, विटामिन, खनिज व अन्य पोशक तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। मूंग का प्रयोग दाल, वड़ा, सांभर, इडली, बड़ी, पकौड़ा व अन्य खाद्य सामग्री बनाने के लिए होता है।
उत्पादन प्रौद्योगिकी
भूमि का चुनाव : मूंग की खेती के लिए उदासीन पी. एच. (pH=7) वाली हल्की से भारी सभी मिट्टियाँ उपयुक्त हैं। खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था हो तथा खेत हल्के ढालदार हो। लवणीय, क्षारीय एवं अम्लीय भूमि मूंग के लिए उपयुक्त नहीं है।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।