एक या दो दिन बाद, नई दिल्ली में कुछ जाने-माने अर्थशास्त्रियों के साथ बंद कमरे में बैठक हुई। चूंकि बतौर निर्वाचित प्रधानमंत्री वे इसमें शामिल नहीं हो सकते थे, लिहाजा एक अन्य राजनीतिक दिग्गज मुरली मनोहर जोशी ने बैठक की अध्यक्षता की।
अर्थशास्त्रियों को अपने सुझाव इस बाबत देने को कहा गया कि एनडीए सरकार को किस किस्म की आर्थिक नीतियां लानी चाहिएं ताकि उसे आगे चलकर सत्ता विरोधी लहर का सामना न करना पड़े। उपस्थित अधिकांश अर्थशास्त्री चाहते थे कि राजकोषीय घाटे पर कड़ी नजर रखी जाए और चालू खाता घाटा कम करने के तरीके खोजे जाएं। चिन्हित मुद्दों पर काफी विचार हुआ और निश्चित रुप से अन्य अहम विषयों पर भी चर्चा हुई। मसलन, रोजगार सृजन, विनिर्माण एवं निर्यात को बढ़ावा देना इत्यादि।
जब मुझसे यह सुझाव देने के लिए कहा गया कि नीतिगत ध्यान का केंद्र किस पर होना चाहिए, तो मेरा जवाब था कि बजट का 60 प्रतिशत हिस्सा उस समय कृषि क्षेत्र में काम कर रही 60 प्रतिशत आबादी के लिए रखा जाना चाहिए। मेरे कई साथी मुझसे सहमत नहीं थे, कुछ ने तो यहां तक चेतावनी दे डाली कि अगर बजट का 60 प्रतिशत हिस्सा कृषि के लिए आवंटित किया गया तो आर्थिक तबाही मच जाएगी। उद्योग और बुनियादी ढांचा देविंदर शमा विकसित करने को अधिक धन देने पर जोर दिया गया और इसे उच्च आर्थिक विकास की ओर ले जाने का शर्तिया माध्यम बताया गया।
मैंने फिर भी जोर देकर कहा कि यह एक नया सांचा और आर्थिक सोच बनाने का समय है और जब तक कृषि के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान नहीं किया जाता, तब तक देश सर्वांगीण विकास नहीं कर पाएगा। मुझे पता था कि मेरा सुझाव मुख्यधारा की आर्थिक सोच से मेल नहीं खाएगा। हालांकि, मेरी समझ से सत्ता विरोधी लहर से बचने की एकमात्र राह खेती और ग्रामीण विकास में पर्याप्त निवेश करना था। बैठक का समापन जोशी ने यह कहकर किया कि वे हमारे विचारों से प्रधानमंत्री को अवगत करवाएंगे।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।