उत्तरप्रदेश
चावल पूरे विश्व की आधी आबादी का मुख्य भोजन है। धान के उत्पादन में हमारा उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाता है। धान की फसल को बहुत से हानिकारक कीट क्षति पहुंचाते हैं, जिनका प्रबन्धन करके धान की उपज में वृद्धि की जा सकती है। एकीकृत कीट प्रबन्धन एक व्यापक पारिस्थितिक दृष्टिकोण होता है जिसमें सभी उपलब्ध तकनीकों जैसे- सस्यात्मक विधियां, यांत्रिक विधियां, जैविक विधियां, रासायनिक विधियां इत्यादि। यहां पर धान का उत्पादन लगभग 15.5 मिलियन टन और उत्पादकता लगभग 26.18 कु० प्रति हैक है। धान की फसल में लगने वाले कीट एवं उनके प्रबन्धन का वर्णन निम्नवत है।
फूदका : धान की फसल को भूरा फूदका, हरा फूदका, सफेद पृष्ठ फूदका इत्यादि क्षति पहुंचाते रहते हैं। ये कीट छोटे आकार के लगभग 3-4 मि.मी. लम्बा होता हैं। यह कीट स्वभाव में आलसी होते हैं और विचलित करने या हाथ से छूने पर थोड़ा सा आगे सरक जाते हैं। इस कीट की शिशु एवं प्रौढ़ दोनों अवस्थाएं नुकसान पहुंचाती हैं और लगातार पौधों से रस चूसते रहते हैं, जिससे पौधों की पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं। भूरा फूदका का अधिक प्रकोप होने पर खेत में गोल घेरों के आकार में फसल झुलसी हुई दिखाई देती है जिसे हापर बर्न कहते हैं जबकि हरा फूदका द्वारा विषाणु रोग फैलता है। इन कीटों का प्रकोप अगस्तसितंबर से फसल पकने की अवस्था तक होता है।
गाल फ्लाई : अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों तथा छिटकवां विधि से बुवाई की अपेक्षा रोपाई वाले धान में इसका प्रकोप अधिक पाया गया है। इस कीट के प्रौढ़ आकार में मच्छर के समान होते हैं एवं मादा कीट का उदर गुलाबी रंग का तथा नर सफेद हल्के पीले रंग के होते हैं। यह कीट रात्रि में 7 बजे से 10 बजे तक सक्रिय रहता है। इस कीट के अंडे चावल के आकार के पीले अथवा गुलाबी एवं इल्लियां गुलाबी रंग की होती हैं। इस कीट का आक्रमण प्रायः अगस्त से शुरू हो जाता है। अंडों से निकलने के 6 से 12 घंटे के अंदर इल्लियां पौधे के अंदर पहुंचकर हानि पहुंचाते लगते हैं, जिससे ग्रसित तने का पत्रक पोंगली (फुला हुआ भाग) में बदल जाता है। इस प्रकार ग्रसित पौधों में बालियां नहीं बनती हैं।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।