ऐसे वक्त में जब दुनिया आपस में जुड़ी दो समस्याओं- जलवायु आपातकाल और जैव-विविधता की बर्बादी से एक साथ घिरी हो, तब नेचर फूड के एक अध्ययन से ज्ञात होता है कि लगभग 34 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए केवल कृषि क्षेत्र जिम्मेदार है। कृषि व्यवस्था और औद्योगीकृत खाद्यसामग्री का भविष्य निरंतर संशय के दायरे में है। ऐसे समय में वैश्विक कृषि व्यापार संबंधित उद्योग रूस यूक्रेन युद्ध की आड़ लेते हुए खाद्य सुरक्षा आधारित नैरेटिव का इस्तेमाल फिर से खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ बनाने के लिए कर रहा है।
दरअसल जितना अधिक कृषि को रूपांतरित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, उतनी ही यह समस्या पहले से अधिक गंभीर होती जा रही है। कृषि क्षेत्र के द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित करने को लेकर होने वाली सभी वार्ताओं और समझौतों के पीछे किसानों को कृषि के काम से धकेल बाहर करने की कुत्सित मंशा भी साफ-साफ दिख रही है। इनमें जोर दिया जाता है कि पशुधन की आबादी में भारी कटौती की जाए।
ये दोनों अभियान नाइट्रोजन उत्सर्जन की मात्रा को कम करने और इस बहाने जैव-विविधता व संरक्षण को प्रोत्साहित करने जैसे उद्देश्यों पर केन्द्रित हैं। लेकिन भविष्य में डिजिटलीकरण, रोबोटिक्स, तकनीकी दखल और सिंथेटिक खाद्य के बूते होने वाली कृषि-क्रांति 4.0 को देखते हुए यह सहज समझा जा सकता है कि इसकी परिणति अंततः एक समूह विशेष के अधिक ताकतवर होने के रूप में होगी।
सच यही है कि यह सब दुनिया को एक ऐसी दिशा में ले जाने की कवायद है जहां दुनिया की बेशतर आबादी को अपना पेट भरने के लिए कुछ गिनती के धन और सत्तासंपन्न लोगों का मोहताज होना पड़ेगा।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।