मानसून में डेयरी पशुओं का प्रबंधन, मानसून का मौसम हर किसी के लिए राहत भरा होता है क्योंकि यह गर्मियों के बाद आता है और सभी को तरोताजा कर देता है। हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह अपने साथ डेयरी पशुओं में कई घातक बीमारियां लेकर आता है। भारत में, मानसून या बरसात का मौसम जून से सितंबर तक रहता है और जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में मानसूनी बारिश होती है।
डेयरी पशुओं के लिए उचित देखभाल, सुरक्षा और प्रबंधन की आवश्यकता होती है ताकि जानवर अप्रिय मौसम में सुरक्षित रहें। नमी, अशुद्ध पानी और बरसात के मौसम में अधिक काम करने से पशुओं के स्वास्थ्य, उत्पादकता और दक्षता पर असर पड़ सकता है।
चुनौतियां और निवारक उपाय
1. छत्त का रिसाव
समस्या : पशुओं के शैंड की छत्त में पानी के रिसाव से गीला वातावरण उत्पन्न होता है और जानवरों के लिए असुविधा होती है। लीक हुआ पानी मूत्र 'और गोबर में मिल जाता है, जिस कारण अमोनिया का उत्पादन होता है जो आंखों में जलन पैदा करता है। पानी के रिसाव के कारण कोक्सीडायोसिस होता है और निरंतर जमा हुआ पानी खुरों में खुर सड़न रोग का कारण बनता है।
उपाय : पशुओं के शैंड की छत्त रिसाव रोधी और साफ-सुथरी होनी चाहिए।
2. जीवाणु संक्रमण और कृमि संक्रमण समस्या : अधिक वर्षा का पानी बैक्टीरिया गुणन को प्रेरित करता है, जिससे बीमारियां उत्पन्न होती हैं। बरसात के मौसम में कृमि संक्रमण एक और समस्या है।
उपाय : बरसात शुरू होने से पहले, मध्य और अंत में कृमि मुक्ति का कार्य करना चाहिए। जीवाणु संक्रमण बचाव के लिए रूटीन चेकअप और इलाज होना चाहिए।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।