अखिल भारतीय समन्वित मोटे खाद्यान्न विकास परियोजना के अन्तर्गत किए गए प्रयोगों के परिणाम के आधार पर बाजरा की नई किस्में विशेषकर संकर किस्मों में खाद की अत्याधिक आवश्यकता होती है।
बाजरा में पोषक तत्व प्रबंधन
1. अधिक कमजोर मिट्टी में प्रति हैक्टेयर नाइट्रोजन की 137 किलोग्राम मात्रा का प्रयोग लाभकारी पाया गया है।
2. असिंचित क्षेत्रों में जीवांशयुक्त खादों के प्रयोग से न केवल पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है, बल्कि मिट्टी की जलधारण-क्षमता का भी विकास होता है।
3. कम उर्वरता वाली मिट्टी में 10 से 12 टन अच्छी सड़ी गोबर की खाद को फसल की बुआई के लगभग 20 दिन पूर्व खेत में मिला देना चाहिए।
4. बाजरा में चूने के अभाव वाली भूमियों में चूने का प्रयोग लाभदायक होता है।
5. जीवांशमय खादों का प्रयोग करने पर इसमें उपलब्ध पोषक तत्व के अनुसार उर्वरकों की मात्रा कम कर दी जाती है।
6. नाइट्रोजन प्रदान करने वाली खादों की सम्पूर्ण मात्रा को दो बार में फसल की बुआई के समय और शेष दोजी निकलते समय प्रदान की जानी चाहिए।
7. बाजरा में फास्फोरस और पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा का प्रयोग नाइट्रोजन की आधी मात्रा के साथ मिलाकर बुआई के समय कूड़ों में करना लाभदायक पाया गया है।
8. बाजरे के बीज के अत्यन्त छोटा होने एवं उससे निकलने वाले प्रांकुर के अत्यन्त कोमल होने के कारण खाद का इस प्रकार प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे बीज का खाद के साथ संपर्क न होने पाए, अन्यथा अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।