गिल्लू बड़ी आलसी गिलहरी थी. साफसफाई की ओर उस का बिलकुल भी ध्यान नहीं रहता था और वह सप्ताह में एक बार ही नहाती थी. सभी उसे समझाते, लेकिन वह नहीं मानती. उसे तो बस, खाना और सोना अच्छा लगता था.
गिल्लू घने जंगल में एक बड़े पेड़ की कोटर में रहती थी. उस के आसपास बहुत सारे जानवर रहते थे. जंगल के अधिकांश जानवर स्वच्छता प्रिय थे. इसीलिए सभी ने मिल कर जंगल में जगहजगह डस्टबिन लगवाए थे. जंगल की सड़कें साफ और स्वच्छ रहती थीं.
गिल्लू अपने कोटर में जो कुछ भी खाती, कूड़ा कोटर से बाहर फेंक देती. वह सारा कचरा नीचे सड़क पर आ जाता. सेब के टुकड़े, केले के छिलके, अखरोट के छिलके, ब्रेड के टुकड़े सब का ढेर लग गया. आज भी गिल्लू ने बहुत सारा कूड़ा बाहर सड़क पर बिखेर दिया था.
"गिल्लू, तुम्हें मैं ने कितनी बार समझाया है कि इस तरह सड़क पर कूड़ा मत फेंका करो ?” हेवी हाथी ने गुस्से में कहा.
“अरे, चले जाओ, मुझे परेशान मत करो, मेरा घर है, मैं कुछ भी करूं. तुम अपने घर को देखो,” गिल्लू बोली.
हेवी यह सुन कर गुस्से से तमतमाया और उस ने गिल्लू के कोटर में अपनी सूंड़ डाल कर सब तहसनहस करने का मन बना लिया. उस ने जैसे ही अपनी सूंड़ उठाई तब तक हाइटी जिराफ वहां पहुंच गया.
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दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"