ब्लैकी भालू चंपकवन में मिट्टी के बरतन बनाने का काम करता था. वह चाक पर मिट्टी के बरतन बनाता और फिर उन्हें चूल्हे पर पकाता. पके हुए बरतनों को वह बाजार में बेच आता.
एक बार ब्लैकी ने एक बड़ा मटका बनाया. मटका बहुत मोटा और भारी भी था. उस ने उस मटके को कमरे में दूसरे मिट्टी के बरतनों के साथ रख दिया.कमरे में रखे अन्य बरतनों ने मोटे मटके को बड़ी हैरानी से देखा. पहले तो सब उस के बड़े आकार को देख उस से डरे, लेकिन फिर धीरेधीरे उस के दोस्त बन गए.
एक दिन तो सारे बरतनों ने मिल कर उस मोटे मटके का नामकरण ही कर दिया और उस का नाम पोस्ता रख दिया. पोस्ता अपना नया नाम पा कर बड़ा खुश हुआ.
उस रात सब ने मिल कर एक पार्टी का आयोजन किया. जैसे ही ब्लैकी ने रात को उस कमरे का ताला लगाया, सारे बरतनों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया. कुल्हड़ 'ओय ओय, आह आह कर के नाचने लगे. पतली गरदन वाली सुराही ने सुरीला गीत गाया.
हांडी का तो कहना ही क्या? वह तो पायल बांध कर ‘छमछम’ नाची. मटके पोस्ता के बारे में तो पूछो ही मत. उस ने जोरदार डिस्को डांस किया और वह वैलबौटम पहन कर चार्ली चैपलिन तरह नाचता था.
अगले दिन ब्लैकी पोस्ता को छोड़ कर लगभग सारे बरतन बाजार में बेचने के लिए ले गया, ताकि वह उन्हें बेच सके. पोस्ता अकेला रहने पर बड़ा दुखी हुआ. वह भी अन्य बरतनों के साथ बाजार में बिकने के लिए जाना चाहता था, लेकिन शायद ब्लैकी ने मटके को किसी और ही मकसद से बनाया था.
कुछ दिन बाद उस कमरे में और नए बरतन आ गए, लेकिन वे भी बिकने के लिए बाजार चले गए. इस तरह से नएनए बरतन आते रहते और बिकने के लिए जाते रहते, लेकिन मोटा पोस्ता पड़ा रह जाता.
धीरेधीरे मटके पर धूल जमनी शुरू हो गई. नए बरतन आते और मटके का मजाक बना कर कहते, “अरे पोस्ता, हम भी एक दिन चले जाएंगे बाजार में बिकने और तुम्हारे ऊपर धूल की एक परत और चढ़ जाएगी.”
पोस्ता ने किसी की बात का बुरा नहीं माना. वह 'हो हो कर अपनी मोटी तोंद फुला कर हंसता और कहता, "बच्चो, देखो, किसी दिन में भी यहां से बाहर निकलूंगा और खूब मजे करूंगा. होली आने वाली है और होली पर मटके खूब बिकते हैं. उन में खूब रंग घोला जाता है. हो हो हो..."
هذه القصة مأخوذة من طبعة March First 2023 من Champak - Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة March First 2023 من Champak - Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.