वह अपनी स्कूली किताबों के अलावा कहानियों की किताबें और पत्रिकाएं भी बड़ी दिलचस्पी से पढ़ती थी. इसीलिए उसे बहुत सारी चीजों की जानकारी थी. वह स्कूल में वादविवाद प्रतियोगिता और भाषण प्रतियोगिता में हमेशा आगे रहती थी.
गरमी के दिन थे. प्रियांशी और उस का दोस्त स्कूल से लौट कर पैदल ही घर जा रहे थे. गरमी ज्यादा होने से दोस्तों को पानी की काफी प्यास लगी थी. प्रियांशी की पानी की बोतल खाली थी.
"पिंकू, मुझे बहुत प्यास लग रही है," प्रियांशी ने अपनी खाली पानी की बोतल दिखाते हुए कहा.
"हां, गला तो मेरा भी सूख रहा है. यह देखो, मेरी पानी की बोतल भी खाली हो गई है," पिंकू ने जवाब दिया.
तभी दोनों की नजर सड़क के किनारे लगे पानी के नल पर पड़ी. उस से पानी टपक रहा था. नल के नीचे एक मिट्टी का घड़ा रखा हुआ था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था. उस से भी पानी नीचे गिर रहा था.
"देखो, उधर नल है. चलो, अपनी पानी की बोतल भरते हैं," प्रियांशी ने सुझाव दिया.
दोनों नल की टोंटी खोल कर पानी की बोतलें भरने लगे. बोतल भरने के बाद उन्होंने टोंटी बंद करने की कोशिश की, लेकिन बंद करने के बाद भी टोंटी से पानी टपकता रहा. उन्होंने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. दोनों ने पानी पिया और घर की तरफ चल दिए.
अब प्रियांशी और पिंकू रोज ही उस नल से पानी की बोतल भरते और घर जातेजाते पूरी बोतल पी लेते.
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