डाक्टर ने कहा था कि यदि वह रोज धीरेधीरे घूमता रहेगा तो उस का वजन बढ़ना रुक जाएगा. तभी से सरन को घूमने का शौक चढ़ा हुआ था.
"हाय, मोटूराम, थोड़ा तेज चलो,” हरीश ने सरन को आवाज दी, जो जंगल के रास्ते उस के पीछे चल रहा था.
“मैं धीरेधीरे आ रहा हूं, आप लोग पिकनिक वाली जगह पहुंच कर दरीचादर बिछाओ. तब तक मैं भी पहुंच जाऊंगा,” सरन ने धीरेधीरे आते हुए जवाब दिया.
छुट्टियों के बाद स्कूल वापस आ कर छात्रों ने जंगल में पिकनिक मनाने की योजना बनाई थी. सभी नाश्ता और भोजन ले कर आए जिसे उन्होंने आपस में बांटने का फैसला किया.
कुछ छात्र आगे निकले और उन्होंने पिकनिक स्थल पर चटाई बिछा दी. कुछ छात्र चटाई पर आराम कर रहे थे जबकि कुछ गा रहे थे, नाच रहे थे तो कुछ जंगल में घूम रहे थे. उन में से कई छात्रों ने पहली बार जंगल का दौरा किया था. जंगल में कई किस्म के पेड़ थे, जिन पर कई पक्षी चहचहा रहे थे.
"मैं थोड़ा अंदर जाऊंगा और जंगल का पता लगाऊंगा,” दक्ष ने जंगल में पेड़ों को देखते हुए कहा.
कुणाल ने उसे चेतावनी दी, “सावधान रहो दक्ष, उस दिशा में एक भुतहा कुआं है."
दक्ष घबरा गया.
"तुम ने क्या कहा? भुतहा कुआं? तुम्हें कैसे मालूम कि वहां भुतहा कुआं है?"
कुणाल ने कहा, "वह कुआं प्राचीनकाल का है और कहा जाता है कि उस में भूत रहता है. जब हम जंगल में प्रवेश कर रहे थे तो गार्ड ने मुझे बताया था."
"ठीक है, मैं सावधान रहूंगा," दक्ष यह कह कर जंगल की तरफ चल दिया.
इधर कुछ छात्र बोर हो रहे थे.
"अरे, चलो, अंत्याक्षरी खेलते हैं,” रोहित ने सुझाव दिया और सभी एक घेरे में बैठ गए.
रोहित ने एक गाने की लाइन गानी शुरू की. मिहिर ने आगे गाया. रोहित द्वारा गाए गए आखिरी अक्षर वाली लाइन के साथ एक गाना गाया और इस तरह सभी छात्र गानों की लाइनें गा कर अंत्याक्षरी खेलने लगे. हर कोई एंजौय कर रहा था.
कुछ छात्र गाते गाते नाचने भी लगे. यह देख कर कुछ छात्र जोरजोर से हंसने लगे. छात्र खेल में शामिल होते रहे और इच्छानुसार नाश्ते के लिए जाते रहे.
तभी दक्ष भागता हुआ पिकनिक स्थल पर आया. उस के चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी. वह नजदीक आते ही चिल्लाया, "दोस्तो, भूत," वह हकला कर बड़ी मुश्किल से इतना बोल पाया था.
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