अम्मां और अप्पा खेतों में काम करने के लिए शायद जा चुके थे. उस ने रसोई में इधरउधर देखा और अपना नाश्ता ढूंढ़ निकाला. एक कटोरी बचा हुआ चावल, दही और प्याज के साथ मिक्स्ड किया हुआ. म्म्म्, यह उसे बहुत पसंद था.
स्कूली दिनों अम्मां राजी को जल्दी भेज देती थीं, ताकि स्कूल में मिलने वाला नाश्ता वह खा सके, हालांकि राजी को नाश्ता ज्यादा पसंद नहीं था. लेकिन उस ने कभी शिकायत नहीं की.
स्वादिष्ठ नाश्ते से पेट की भूख शांत होने के बाद उस ने चारों ओर देखा. एक कोने में रस्सी का एक लंबा टुकड़ा पड़ा था. उसने सोचा कि यह तो कूदने वाली रस्सी है. उस ने रस्सी उठाई और कूदते हुए गांव की ओर जाने लगी, जहां शनिवार और रविवार को गांव के सभी बच्चे दिन भर एकसाथ खेलने के लिए इकट्ठा होते थे. राजी वहीं रुक गई. जमीन पर वह चमकती हुई चीज क्या थी? क्या वह सचमुच कीचड़ भरी सड़क पर आसमान का प्रतिबिंब देख रही थी?
वह निकट गई, उस की आंखें चौड़ी हो गईं. ओह, यह तो एक आईना है. एक सजावटी दिखने वाला आईना, हालांकि यह काफी पुराना लग रहा था. राजी ने उसे उठाया, उस का चमकता हुआ चेहरा उसकी ओर देख रहा था.
"हैलो, क्या यह किसी का है?" राजी ने पुकारा, लेकिन वहां पर उसे सुनने वाला कोई नहीं था. उस ने खुशी से कंधे उचका दिए.
"जो खोजे, वही पाए," उसे याद आया कि एक बार मां ने कहा था जब उन्हें 20 रुपए का नोट सड़क पर मिला था.
रस्सी को गरदन पर लटका कर, आईने को हाथों में संभाल कर उस ने घर की ओर दौड़ लगाई.
हफ, हफ, हफ...
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.