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घर पर बनाएं वैक्स
अवांछित बालों को हटाने के लिए वैक्सिंग बेहतरीन उपाय है। क्यों ना वैक्स घर पर ही बनाया जाए।
सॉफ्ट लिप पॉलिश
होंठों को सॉफ्ट और हाइड्रेटेड रखने के लिए कुछ होममेड लिप पॉलिश ट्राई करें।
दर्द तो मर्द को भी होता है
मर्द को दर्द नहीं होता, एक फिल्म का यह डायलॉग सुनने में रोमांचक लगे, पर क्या वाकई ऐसा होता है? 10 से 16 जून तक मेन्स हेल्थ वीक मनाया जा रहा है। आइए, इस मौके पर जानें कि पुरुष अपने दर्द को क्यों नहीं अभिव्यक्त कर पाते, इस मुद्दे पर एक्सपर्ट की क्या राय है?
क्यों होते हैं बड़ी उम्र में एक्ने
जरूरी नहीं मुंहासों की परेशानी किशोरावस्था में ही हो, 40 या उससे ज्यादा की उम्र में भी ऐसी समस्याएं आ सकती हैं। आखिर क्यों होते हैं एडल्ट एक्ने? इससे बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
कम बजट में फैमिली टिप
परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने के लिए किसी खूबसूरत जगह जाने से अच्छा और क्या हो सकता है! मगर जेब के बारे में सोच कर मंसूबे धरे रह जाते हैं। तो चलिए वनिता ले जा रही है कुछ ऐसी जगहों पर, जहां खुशनुमा मौसम, मौज-मस्ती, सुंदर नजारे सब होंगे आपके बजट में।
पांच ज्ञानेन्द्रियों के लिए योग
कहते हैं चेहरा हमारे मन की आवाज है और पांच ज्ञानेन्द्रियां हमारे भावों को बताती हैं। इन सभी इंद्रियों का मस्तिष्क से सही तालमेल बना रहे, इसके लिए योग की कुछ सरल क्रियाएं बता रही हैं विन्यासा योग स्टूडियो की फाउंडर और योग थेरैपिस्ट रंजना छाबड़ा।
सकुलेंट प्लांट्स for समर गार्डन
सकुलेंट प्लांट्स को पानी की इतनी जरूरत नहीं होती, गरमियों में भी हाइड्रेटेड रहते हैं। क्या आप भी इनसे अपना घर सजाना नहीं चाहेंगे?
रातें कहानियों वाली...
बच्चों की छुट्टियां हैं। क्यों ना कुछ मजेदार पुरानी परंपराएं दोहरायी जाएं! वीडियो गेम्स और मोबाइल से कुछ पल हटा कर उन्हें कल्पनाओं के संसार में घूमने दिया जाए! तो चलें किस्सेकहानियों की प्यारी सी दुनिया में इंदिरा राठौर के साथ।
पॉल्यूशन फ्री रहे घर
वर्ल्ड एनवायरमेंट डे पर क्यों ना इस बार अपने घर को पॉल्यूशन-फ्री बनाने का संकल्प लें।
प्रियंका चोपड़ा-जोनस - मेरी दुनिया है मां
प्रियंका चोपड़ा अब खुद एक बच्ची की मां बन चुकी हैं। पापा की लाड़ली प्रियंका मां को अपनी पूरी दुनिया मानती हैं।
केले के फायदेमंद छिलके
केला खाने के बाद उसके छिलकों को ना फेंकें । छिलकों को कई तरह से इस्तेमाल करें।
Summer Cool Decor Ideas
कुछ सिंपल होम डेकोर टिप्स की मदद से इस सीजन में अपने घर को रख सकते हैं ठंडा और सुकून भरा। इसके लिए चाहिए बस थोड़ी सी मेहनत और कुछ बदलाव
मीनाक्षी शेषाद्रि मैं सरप्राइज करने आयी हूं
मीनाक्षी शेषाद्रि ने 1983 में अपनी डेब्यू फिल्म पेंटर बाबू से लोकप्रियता हासिल की, लेकिन इसी वर्ष आई हीरो ने उन्हें और जैकी श्राफ को स्टारडम दिया। इन फिल्मों के 40 वर्ष पूरे होने पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश-
डिलीवरी में मदद करेगी लमाज क्लास
डिलीवरी को ले कर प्रेगनेंट कपल के मन में बहुत से डर होते हैं, इन्हें दूर करने व डिलीवरी को आसान बनाने के लिए एक्सपर्ट्स करवा रहे हैं लमाज व एंटी नेटल क्लासेज, एक जानकारी-
जनाब! यह आम नहीं खास है
आम हर दिल अजीज है। गरमियों की इस खुशबूदार सौगात के बारे में आप क्या जानते हैं? हम जिसे आम कहते हैं, वह आम नहीं, खास है। क्यों, बता रही हैं वनिता की कुकरी एक्सपर्ट प्रीता माथुर -
कहीं आप पार्टी स्पॉइलर तो नहीं
पार्टी का मजा तभी है, जब सब इसे एंजॉय करें, इसलिए कोई ऐसी हरकत ना करें, जिससे सबका मूड खराब हो!
नाखुश हैं क्या...
हर किसी को अपनी जिंदगी से कुछ अपेक्षाएं होती हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए तो अप्रैल-मई का समय कुछ खास होता है, क्योंकि ज्यादातर कंपनियों में ये अप्रेजल मंथ होते हैं।
अवंतिका चौधरी - चुनौतियों के बीच ही छिपा होता है अवसर
तीन-चार लोगों के साथ शुरू हुआ था उनके व्यवसाय का सफर। कुछ अपनी बचत की गयी पूंजी थी, बाकी दोस्तों से मदद मिली। पूंजी के अलावा उन्होंने समय एवं नॉलेज का भी निवेश किया। इस तरह, लखनऊ की मूल निवासी अवंतिका चौधरी ने फूड के लिए अपने पैशन को जीते देहरादून में 'माया कैफे' की नींव रखी। उनके सामने जो बाधाएं आयीं, उन्हें स्वीकार करके आगे बढ़ीं और आखिर में अपने लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। बिजनेस में आने वाली महिलाओं को माया कैफे की सह-संस्थापक एवं हेड शेफ अवंतिका कहना चाहती हैं कि वे खुद पर विश्वास रखें। अपनी क्षमताओं को पहचानें। जो भी विजन या काम है, उसके प्रति ईमानदार रहें। चुनौतियों में ही अवसर छिपा होता है।
पास आओ ना
कई बार स्त्रियां चाह कर भी सेक्स के लिए मूड नहीं बना पातीं। आखिर ऐसी कौन सी परेशानियां हैं, जिनका महिलाएं सामना कर रही हैं। जानिए एक्सपर्ट की सलाह-
बोगनवेलिया धूप से इसे है प्यार बहुत
इस गरमी बोगनवेलिया की लतरें खूब खिल उठेंगी अगर थोड़ी सी देखभाल करेंगे।
क्यों जरूरी है रेटिनॉल
रेटिनॉल बन सकता है आपकी स्किन का नया बेस्ट फ्रेंड। कैसे करें इसका सही इस्तेमाल कि स्किन लगे हमेशा यंग।
निधिवन - जहां कान्हा आज भी रास में हैं मगन
रहस्य, रोमांच और रोंगटे खड़े करने वाली कथाओं का केंद्र है वृंदावन का निधिवन। कहते हैं इसी जगह पर कृष्ण ने राधा व अन्य गोपियों के साथ महारास किया था। हालांकि मान्यता है कि आज भी रोज रात को कृष्ण यहां गोपियों के साथ रास रचाते हैं।
ओडिशा की अद्भुत ताराकशी कला
महीन चांदी या सोने के तारों से तैयार ताराकशी आज भी ज्वेलरी कलेक्शन में अपने आकर्षण से खास जगह रखती है।
BATH BOMBS - NEW Bathing Buddy
बाथ बम को आपने सोशल मीडिया पर बाथ एस्थेटिक रील्स में देखा होगा। बाथ टब में डाले गए ये बाथ बम कलर, खुशबू, मॉइस्चराइजर और असेंशियल ऑइल से मिला कर बनाए जाते हैं।
क्या हैं डर्मा फिलर्स
त्वचा में कसावट लाने के लिए किए जाने वाले डर्मा फिलर्स से जुड़ी जरूरी जानकारी-
हरदम रहती है सुस्ती तो जानें क्या है वजह
क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (सीएफएस) ऐसी समस्या है, जिसमें अत्यधिक थकान का अनुभव होता है। सामान्य थकान में आराम से लाभ होता है, लेकिन सीएफएस में भरपूर सोने के बावजूद थकान दूर नहीं होती। यह समस्या किसी भी जेंडर या उम्र में हो सकती है, लेकिन 20 से 40 की उम्र वाली महिलाओं को यह ज्यादा घेरती है।
खीरे से ताजਗੀ
खीरा गरमियों में बन सकता है आपका बेस्ट फ्रेंड। गरमी से चेहरे पर पसीना आता है और थकान भी जल्दी नजर आने लगती है। स्किन को हाइड्रेटेड और फ्रेश रखने के लिए खीरे, एलोवेरा या गुलाबजल से बने फेस मिस्ट इस्तेमाल करें। खीरा स्किन की इन्फ्लामेशन कम कर के सूटिंग इफेक्ट देता है। हिबिस्कस स्किन को यूथफुल बनाए रखता है। इस तरह के केमिकल फ्री मिस्ट स्किन के पोर्स को टाइट बनाए रखते हैं, किसी भी तरह के बिल्डअप को कंट्रोल कर के स्किन टोन को भी एकसार कर देते हैं।
सास है तो आस है
बहुत प्यारी है भारतीय परिवारों की व्यवस्था। यहां हर रिश्ता खास है और अपनी अलग अहमियत रखता है। मॉडर्न सास अब खौफ का नहीं, बल्कि सपोर्ट का दूसरा नाम है।
जब खरीदनी हो इंगेजमेंट रिंग
शादी की तैयारियां एक तरफ और इंगेजमेंट रिंग की खरीदारी एक तरफ! इसलिए इंगेजमेंट रिंग जब भी चुनें, बहुत सोच-समझ कर चुनें।
मां के त्याग का महिमामंडन क्यों
मां और मातृत्व के नाम पर हमने खूब कसीदे पढ़े हैं। घर की चाबियां और घर वालों के जीवन को संभालते-संवारते मां कब अपना वजूद खोती गयी, किसी को पता न चला। मातृत्व इस अति महिमामंडन ने न सिर्फ स्त्री का विकास बाधित किया, बल्कि पुरुषों का भी नुकसान किया है। इंदिरा राठौर का खास लेख -