जब एक बच्चा दुनिया में आता है और चलनेफिरने लगता है, तो उसका पहला कदम प्ले स्कूल में पड़ता है, जहां वह कुछ घंटे अपने मां-बाप के बिना निकालता है और बहुत कुछ अपने आप करना सीखता है।
प्ले स्कूल क्या है
प्ले स्कूल एक छोटा स्कूल होता है, जहां बच्चा अपने मां-बाप के बिना रहता है। यहां करीब ढाई साल की उम्र में बच्चों का दाखिला कराया जाता है। पहली बार वह बच्चा अपने आप रहना, खाना, खेलना और बहुत कुछ सीखता है। प्ले स्कूल एक तरीके से बड़े स्कूल में जाने के लिए उस बच्चे की नींव तैयार करता है।
क्या बच्चे को प्ले स्कूल में भेजना जरूरी है
बच्चों के संपूर्ण विकास और अपने आप सब कुछ सीखने के लिए प्ले स्कूल बहुत जरूरी है। बड़े स्कूल की बड़ी दुनिया में वह पूरी तरीके से तैयार हो कर जाए, उसके लिए प्ले स्कूल की शिक्षा बहुत काम आती है। प्ले स्कूल में आपका बच्चा धीरे-धीरे आपके बिना रहना, खाना, वॉशरूम जाना, दोस्त बनाना, ज्ञानवर्धक कविताएं बोलना और सुनना सीख जाता है। वह अपने आपको संभालना सीखता है, खिलौनों को, किताबों को और अन्य चीजों को सही तरीके से रखना और इस्तेमाल करना भी सीखता है।
ऐसे तो हर प्ले स्कूल बच्चों को रंग, आकार, अक्षर, नंबर और बहुत कुछ जरूरी चीज सिखाते हैं, लेकिन एक बात जो हर मां-बाप के लिए जरूरी है, वह यह कि जो बच्चा आज तक मां-बाप की छांव में पला-बढ़ा है, अब वह अपने आप चीजों को करने में समझदार बन जाता है।
कौन सा प्ले स्कूल चुनें
मां-बाप की सबसे बड़ी चिंता होती है कि कौन सा प्ले स्कूल उनके बच्चे के लिए उपयुक्त है। सबसे खास बात यह है कि बच्चे की मजबूत नींव की जिम्मेदारी स्कूल के साथ-साथ मां-बाप की भी है। आपको कुछ टिप्स और शर्तें पता होनी चाहिए, जो आपको सही स्कूल चुनने में मदद करेंगी।
प्ले स्कूल चुनने के कुछ खास टिप्स
• वह स्कूल घर के पास हो और जरूरत पड़ने पर वहां वैन भी मिल जाए। वाजिब फीस हो, वैन का ड्राइवर भी कम से कम कुछ साल पुराना और रजिस्टर्ड हो।
• खेलने के लिए वहां खुली जगह हो, सीढ़ियां ना हों और सब कक्षाएं ग्राउंड फ्लोर पर ही हों।
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