विश्व फोटोग्राफी दिवस कुछ वर्षों पूर्व एक ऐसा दिवस था जो आता था, कुछ ख़ास लोगों द्वारा मनाया जाता था और गुजर जाता था। अब यह आलम है कि आम लोगों का भी इससे सरोकार है। सोशल मीडिया इसकी बधाइयों और चित्रों से भरा रहता है। बहुत सारे फोटोग्राफी समूहों में एक-दूसरे को बधाई दी जाती हैं। ख़ुद के कैमरे के साथ तस्वीरें साझा की जाती हैं।
इसकी वजह है मोबाइल फोन के माध्यम से कैमरे का सुलभ होना। कुछ वर्षों पूर्व जहां कैमरा गिने-चुने हाथों में मिलता था, एक महंगा शौक़ माना जाता था, वहीं आज हर हाथ में कैमरा है। या कहें कि एक से अधिक कैमरे हैं। मोबाइल क्रांति ने सबकुछ बदलकर रख दिया। इसी के साथ आई एक ऐसी बात जिसकी कल्पना भी इस कैमरा क्रांति के पहले नहीं की गई थी। लोग फोटोग्राफी के बारे में गंभीर नहीं रहे।
संजीदगी से साधने की कला
फोटोग्राफी चित्रकला के एक आगे की कड़ी है। फोटोग्राफी को व्याख्यायित करते हुए 'पेंटिंग थ्रु लाइट' कहा जाता है। हमेशा यही माना गया कि फोटोग्राफी एक महान और महंगी कला है। यह आज भी महंगा शौक़ है। मोबाइल फोन की कीमत कई हज़ार से लाख रुपये के ऊपर भी होती है। चूंकि मोबाइल कैमरे की तस्वीरों को स्टूडियो से डेवलप कराने आदि का झंझट और ख़र्च नहीं होता तो लोगों में सामान्यतः इस कला की गंभीरता का एहसास कम हो चला है।
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