सुनिश्चित आय वाले निवेश विकल्पों की जब बात होती है तो सबसे पहले निवेशकों के मन में बैंक फिक्स डिपॉज़िट या फिर पोस्ट ऑफिस डिपॉज़िट ही आता है। लेकिन, कंपनियों की एफडी, कमर्शियल पेपर, कंपनियों के बॉन्ड केंद्र और राज्य सरकारों के बॉन्ड जैसे कई अन्य निवेश विकल्प भी उपलब्ध हैं जिनसे बैंक या पोस्ट ऑफिस डिपॉज़िट के समान ब्याज के रूप में आय ली जा सकती है, और कुछ विकल्पों में बैंक एफडी से अधिक रिटर्न के साथ भी, मसलन, डेट फंड। डेट फंड एक तरह के म्यूचुअल फंड ही हैं जो सरकार और कंपनियों को आपका पैसा उधार देकर आपको रिटर्न देते हैं। इनकी एक निश्चित ब्याज आय होती है। इन विकल्पों में इच्छुक निवेशक सीधे खुद निवेश कर सकते हैं या म्यूचुअल फंड के माध्यम से भी हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सीधे स्वयं निवेश करने की अपेक्षा म्यूचुअल फंड के माध्यम से डेट में निवेश करना अधिक लाभदायक है।
डेट फंड के विशेष लाभ
विशेषज्ञों द्वारा निवेश : म्यूचुअल फंड की देखरेख पेशेवर फंड मैनेजर करते हैं जिनके पास अनुभव और विशेषज्ञता दोनों होती है। स्वयं सही बॉन्ड का चयन करना किसी सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल हो सकता है, वहीं फंड मैनेजर बाज़ार का अध्ययन करके आपके लिए उपयुक्त बॉन्ड का चयन करते हैं, जिससे कम जोखिम में अच्छा रिटर्न पाया जा सकता है।
विविधीकरण : म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि यह विविधता प्रदान करता है। आप एक ही फंड में निवेश करके कई कंपनियों के शेयर्स या बॉन्ड के मालिक बन सकते हैं। इससे जोखिम कम हो जाता है क्योंकि किसी एक कंपनी के ख़राब प्रदर्शन का आपके पूरे निवेश पर उतना असर नहीं पड़ता। यह लाभ के विषय में भी समान रूप से लागू होता है।
कम राशि में भी निवेश : कई कंपनियों के बॉन्ड में आपको कम से कम 10 हज़ार रुपये निवेश करने होते हैं, लेकिन डेट म्यूचुअल फंड के माध्यम से आप मात्र 500 रुपये जैसी छोटी राशि के साथ भी निवेश कर सकते हैं।
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2024 من Aha Zindagi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2024 من Aha Zindagi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
अंतरिक्ष केंद्र सतीश धवन
श्रीहरिकोटा स्थित उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र का नाम जिनके नाम पर 'सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र' है, वे सही मायनों में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के केंद्र रहे हैं।
हरी-हरी धरती पर हर
वर्षा की विदाई वेला है। नदियों का कलकल निनाद गूंज रहा है, धरती ने हरीतिमा की चादर ओढ़ रखी है, प्रकृति का हर हिस्सा खिला-खिला, मुस्कराता-सा लग रहा है।
गजानन सुख कानन
भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी श्रीगणेश के आगमन की पुण्यमय तिथि है। देव अपना लोक छोड़ मर्त्य मानवों के निवास में उन्हें तारने आ बैठते हैं।
जब मंदिर में उतर आता है चांद
यायावर के सफ़र में तयशुदा गंतव्य तो उसका पसंदीदा होता ही है, राह के औचक पड़ाव भी कोई कम मोहक नहीं होते। बस, दरकार होती है एक खुले दिल और उत्सुक नज़र की। महाराष्ट्र के फलटण से खिद्रापुर के बीच की दूरी यात्रा की परिणति से पहले के छोटे-छोटे आनंद को संजोए हुए है इस बार की यायावरी।
भावनाओं के क़ैदी...
भावनाएं और तर्क हमारे व्यक्तित्व के दो अहम हिस्से हैं और दोनों ही ज़रूरी हैं। लेकिन कभी भावनाएं प्रबल हो जाती हैं तो तार्किक बुद्धि मौन हो जाती है। इसके चलते तनाव बेतहाशा बढ़ जाता है, आवेग में निर्णय ले लिए जाते हैं और फिर अक्सर पछताना ही पड़ता है। यही 'इमोशनली हाईजैक' होना है। जीवन का सुकून इससे उबरने की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है।
मेरा वो मतलब नहीं था!
हमारे शब्द सामने वाले को चोट पहुंचा जाते हैं, फिर हम माफ़ी मांगते हुए सफाई देते हैं कि हमारा वह इरादा नहीं था। सवाल उठता है कि अगर इरादा नहीं था तो फिर वैसे शब्द मुंह से निकले कैसे?
...जहां चाह वहां हिंदी की राह
भाषा के मामले में असल चीजें हैं प्रवाह और प्रयोग...हिंदी शब्द समझने में सरल होंगे, अर्थ को ध्वनित करेंगे, और उनका नियमित प्रयोग होगा तो किसी भी क्षेत्र में अंग्रेज़ी शब्दों की घुसपैठ के लिए कोई बहाना ही नहीं बचेगा...
हिंदी के ज्ञान से सरल विज्ञान
पहले हमने दुनिया को विज्ञान का ज्ञान दिया और अब खुद एक विदेशी भाषा में विज्ञान पढ़ रहे हैं। इस बीच आख़िर हुआ क्या? विज्ञान आगे बढ़ गया और हिंदी पीछे रह गई या फिर हमने अपनी भाषा की क्षमता को जाने बग़ैर ही उसे अक्षम मान लिया?
फिल्म नगरिया की भाषा
कितनी अजीब बात है कि हिंदी फिल्म उद्योग की भाषा हिंदी नहीं है। हिंदी फिल्मों में शुद्ध हिंदी का मज़ाक़ बनाया जाता है। सेट पर बातचीत अंग्रेज़ी में होती है, पटकथा अंग्रेज़ी में लिखी जाती है और संवाद रोमन में। हिंदी फिल्मों से करोड़ों कमाने वाले सितारे हिंदी बोलने में हेठी देखते हैं। हालांकि इस घटाटोप के बीच अब आशा की कुछ किरणें चमकने लगी हैं...
हिंदी किताबों में हिंदी
कोई बोली, भाषा बनती है जब वह लिखी जाती है, उसमें साहित्य रचा जाता है और विविध विषयों पर किताबें छपती हैं। पुस्तकों में भाषा का सुघड़ रूप होता है। हिंदी भाषा की विडंबना है कि उसकी किताबों में अंग्रेज़ी शब्दों की आमद बढ़ती जा रही है। कुछ को यह ज़रूरी लगती है तो बहुतों को किरकिरी। सबके अपने तर्क हैं। 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर आमुख कथा का पहला लेख इस अहम मुद्दे पर पड़ताल कर रहा है कि हिंदी किताबों में हिंदी क्यों घटती जा रही है?