सनातन संस्कृति शक्ति की आराधक है और नवरात्र शक्ति आराधना का महापर्व है। यह अद्भुत है कि राम, कृष्ण, शिव आदि देवताओं के प्राकट्य दिवस या विवाह के पर्व एक दिवसीय हैं, किंतु शक्ति की उपासना के लिए पूरे नौ दिन निर्धारित हैं। यह संकेत है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके माध्यम से सृष्टि के जन्म से लेकर संचालन और संस्कार तक में शक्ति अर्थात स्त्री को कितनी महत्ता दी है। पुरुष देवता अधिकतम चतुर्भुज हैं, लेकिन शक्ति की प्रतीक देवी अष्टभुजाधारी हैं। यह पुरुष की अपेक्षा स्त्री के दोगुने सामर्थ्य का प्रतीक है। जन्म, जीवन और जगत के उत्थान, उन्नति और उत्कर्ष के लिए हम सब स्त्री पर ही निर्भर हैं।
अतः जगत की स्त्री-मात्र पूज्य हैं, क्योंकि वे शक्ति की प्रतिनिधि हैं। इस अर्थ में नवरात्र शक्ति उपासना के रूप में संसार की प्रत्येक स्त्री के प्रति, उसके हर रूप के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का महापर्व है।
हिंदू पंचांग में प्रमुख रूप से चार नवरात्र की गणना है जिनका संबंध धर्म और आचरण के साथ विशुद्ध रूप से संयम और स्वास्थ्य से है। ये चारों नवरात्र एक ऋतु से दूसरी ऋतु के परिवर्तन के बीच संधिकाल में तय किए गए हैं, ताकि हम लोग नवरात्र के बहाने तप, संयम, सदाचार और आहार का अनुशासन पालकर अपने आरोग्य को सुनिश्चित कर सकें। आरोग्य की शक्ति ही प्रकारांतर से शक्ति की उपासना और उपासना से प्राप्त सुफल मानी गई है।
एक वर्ष में आने वाले चार नवरात्र में दो गुप्त होकर कठोर तपस्वियों के लिए निर्धारित हैं, जबकि शेष दो लोक के लिए हैं। इनमें ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभिक काल का नवरात्र वासंतिक नवरात्र है और शीत ऋतु के प्रारंभिक काल का नवरात्र शारदीय नवरात्र है। इन दोनों में भी शारदीय नवरात्र की लोक में सर्वोच्च प्रतिष्ठा है, क्योंकि इसके समापन के ठीक अगले दिन विजयादशमी का महापर्व आता है। शाक्त मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने शक्ति की आराधना करके ही प्राप्त आशीर्वाद से दुष्ट रावण का वध किया था। इस प्रकार यह पर्व तप और उपासना से प्राप्त शक्ति का सदुपयोग दुष्टों के नाश और सज्जनों के संरक्षण का संदेश प्रसारित करता हुआ हर वर्ष आता है।
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कथाएं चार, सबक़ अपार
कथाएं केवल मनोरंजन नहीं करतीं, वे ऐसी मूल्यवान सीखें भी देती हैं जो न सिर्फ़ मन, बल्कि पूरा जीवन बदल देने का माद्दा रखती हैं - बशर्ते उन सीखों को आत्मसात किया जाए!
मनोरम तिर्रेमनोरमा
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जीवन में हमारे साथ क्या होता है उससे अधिक महत्वपूर्ण है कि हम उस पर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। इसी पर निर्भर करता है कि हमें ग़म मिलेगा या दम। यह बात जीवन की हर छोटी-बड़ी घटना पर लागू होती है।
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सिडनी का 'द गैप' नामक इलाक़ा सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस स्थान से जुड़ी एक कहानी ऐसी है, जिसने कई जिंदगियां बचाईं। यह कहानी उस व्यक्ति की है, जिसने अपनी साधारण-सी एक पहल से अंधेरे में डूबे हुए लोगों को एक नई उम्मीद की किरण से रूबरू कराया।
कौन हो तुम सप्तपर्णी?
प्रकृति की एक अनोखी देन है सप्तपर्णी। इसके सात पर्ण मानो किसी अदृश्य शक्ति के सात स्वरूपों का प्रतीक हैं और एक पुष्प के साथ मिलकर अष्टदल कमल की भांति हो जाते हैं। हर रात खिलने वाले इसके छोटे-छोटे फूल और उनकी सुगंध किसी सुवासित मधुर गीत तरह मन को आनंद विभोर कर देती है। सप्तपर्णी का वृक्ष न केवल प्रकृति के निकट लाता है, बल्कि उसके रहस्यमय सौंदर्य की अनुभूति भी कराता है।
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बाल गीतों में दादा कहकर संबोधित किया जाने वाला हाथी सचमुच इतना शक्तिशाली होता है कि बाघ और बब्बर शेर तक उससे घबराते हैं। बावजूद इसके यह किसी पर भी यूं ही आक्रमण नहीं कर देता, बल्कि अपनी देहभाषा के ज़रिए उसे दूर रहने की चेतावनी देता है। जानिए, संस्कृत में हस्ती कहलाने वाले इस अलबेले पशु की अनूठी हस्ती के बारे में।
यह विदा करने का महीना है...
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सर्दियों में हमें गुनगुनी गर्माहट की ज़रूरत तो होती है, परंतु इसके लिए कृत्रिम साधनों के प्रयोग के चलते धरती का ताप भी बढ़ने लगता है। यह अंतत: इंसानों और पेड़-पौधों सहित सभी जीवों के लिए घातक है। अब विकल्प हमें चुनना है: जीवन ज़्यादा ज़रूरी है या फ़ैशन और बटन दबाते ही मिलने वाली सुविधाएं?
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रतन टाटा देशवासियों के लिए क्या थे इसकी एक झलक मिली सोशल मीडिया पर, जब अक्टूबर में उनके निधन के बाद हर ख़ास और आम उन्हें बराबर आत्मीयता से याद कर रहा था। रतन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और महज़ दो माह पहले ही उनके बारे में काफ़ी कुछ लिखा भी गया। बावजूद इसके बहुत कुछ लिखा जाना रह गया, और जो लिखा गया वह भी बार-बार पढ़ने योग्य है। इसलिए उनके जयंती माह में पढ़िए उनकी ज़िंदगी की प्रेरक किताब। रतन टाटा के समूचे जीवन को चार मूल्यवान शब्दों की कहानी में पिरो सकते हैं: परिवार, पुरुषार्थ, प्यार और प्रेरणा। उन्हें नमन करते हुए, आइए, उनकी बड़ी-सी ज़िंदगी को इस छोटी-सी किताब में गुनते हैं।