अन्न उपजाए अंग भी उगाए
Aha Zindagi|November 2024
बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
अरविंद कुमार मिश्रा
अन्न उपजाए अंग भी उगाए

विज्ञान ने हमारे जीवन को काफ़ी आसान बनाया है। विज्ञान की देन अनेक वस्तुओं के पीछे की तकनीक हमें अक्सर अचरज में डाल देती है। कमरे को रोशन करते बल्ब, हवा देने वाले पंखे, एयर कंडीशनर से लेकर मोबाइल और टीवी वैज्ञानिक चमत्कार ही हैं। विज्ञान के अनेक उपहार हम आंखों से देख सकते हैं। कुछ आविष्कार ऐसे भी हैं जो मनुष्य के जीवन को सुंदर बनाते हैं लेकिन हम उनके पीछे काम करने वाले सिद्धांत से अनजान होते हैं। जैव प्रौद्योगिकी अर्थात बायो टेक्नोलॉजी विज्ञान की ऐसी ही एक धारा है जो हमारे दैनिक जीवन में इस तरह घुलमिल गई है कि हमें कई बार पता भी नहीं चलता इसके पीछे विज्ञान और तकनीक के कई नवाचार हैं।

आज जैव प्रौद्योगिकी हमारी थाली को पोषक बनाने से लेकर लाइलाज बीमारियों को ठीक करने तक, कई क्षेत्रों में वरदान बन रही है। अब तो बढ़ते पर्यावरणीय संकट से बचाव के लिए जैव प्रौद्योगिकी में ही उपाय तलाशे जा रहे हैं। जीव-जंतुओं की सांसों से जुड़ा विज्ञान और उनके जैसा ही नया जीवन गढ़ने वाली इंजीनियरिंग के मेल से तैयार जैव प्रौद्योगिकी हमारे आज और कल को कैसे स्वस्थ और संपन्न बना रही है, आइए अपने आसपास हो रहे बदलाव में महसूस करें।

खेत से थाली तक पोषण की बहाली

जीवन को संचालित करने के लिए कोशिकाएं और एंजाइम जैसे कुछ अहम घटक ज़रूरी हैं। जीव-जंतुओं और समस्त वनस्पतियों के जीवन का आधार कोशिकाएं कुछ निश्चित जैविक विधियों से जीवन का संचालन करती हैं। जैव प्रौद्योगिकी में कोशिकाओं, एंजाइम और सूक्ष्म जीवों से आवश्यक जैविक सामग्री हासिल कर नई वस्तुएं तैयार होती हैं। सुबह नाश्ते में हम जिस ब्रेड का सेवन करते हैं उसे सूक्ष्म जीवों की मदद से तैयार किया जाता है। यह जैव प्रौद्योगिकी के सिद्धांत से संपन्न होता है।

هذه القصة مأخوذة من طبعة November 2024 من Aha Zindagi.

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कथाएं चार, सबक़ अपार
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कथाएं केवल मनोरंजन नहीं करतीं, वे ऐसी मूल्यवान सीखें भी देती हैं जो न सिर्फ़ मन, बल्कि पूरा जीवन बदल देने का माद्दा रखती हैं - बशर्ते उन सीखों को आत्मसात किया जाए!

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December 2024
मनोरम तिर्रेमनोरमा
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December 2024
चाकरी नहीं उत्तम है खेती...
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चाकरी नहीं उत्तम है खेती...

राजेंद्र सिंह के घर पर किसी ने खेती नहीं की। लेकिन रेलवे की नौकरी करते हुए ऐसी धुन लगी कि असरावद बुजुर्ग में हर कोई उन्हें रेलवे वाले वीरजी, जैविक खेती वाले वीरजी, सोलर वाले वीरजी के नाम से जानता है। उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।

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उसी से ग़म उसी से दम
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जीवन में हमारे साथ क्या होता है उससे अधिक महत्वपूर्ण है कि हम उस पर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। इसी पर निर्भर करता है कि हमें ग़म मिलेगा या दम। यह बात जीवन की हर छोटी-बड़ी घटना पर लागू होती है।

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December 2024
एक कप ज़िंदगी के नाम
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सिडनी का 'द गैप' नामक इलाक़ा सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस स्थान से जुड़ी एक कहानी ऐसी है, जिसने कई जिंदगियां बचाईं। यह कहानी उस व्यक्ति की है, जिसने अपनी साधारण-सी एक पहल से अंधेरे में डूबे हुए लोगों को एक नई उम्मीद की किरण से रूबरू कराया।

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December 2024
कौन हो तुम सप्तपर्णी?
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कौन हो तुम सप्तपर्णी?

प्रकृति की एक अनोखी देन है सप्तपर्णी। इसके सात पर्ण मानो किसी अदृश्य शक्ति के सात स्वरूपों का प्रतीक हैं और एक पुष्प के साथ मिलकर अष्टदल कमल की भांति हो जाते हैं। हर रात खिलने वाले इसके छोटे-छोटे फूल और उनकी सुगंध किसी सुवासित मधुर गीत तरह मन को आनंद विभोर कर देती है। सप्तपर्णी का वृक्ष न केवल प्रकृति के निकट लाता है, बल्कि उसके रहस्यमय सौंदर्य की अनुभूति भी कराता है।

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December 2024
धम्मक-धम्मक आत्ता हाथी...
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बाल गीतों में दादा कहकर संबोधित किया जाने वाला हाथी सचमुच इतना शक्तिशाली होता है कि बाघ और बब्बर शेर तक उससे घबराते हैं। बावजूद इसके यह किसी पर भी यूं ही आक्रमण नहीं कर देता, बल्कि अपनी देहभाषा के ज़रिए उसे दूर रहने की चेतावनी देता है। जानिए, संस्कृत में हस्ती कहलाने वाले इस अलबेले पशु की अनूठी हस्ती के बारे में।

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December 2024
यह विदा करने का महीना है...
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साल समाप्त होने को है, किंतु उसकी स्मृतियां संचित हो गई हैं। अवचेतन में ऐसे न जाने कितने वर्ष पड़े हुए हैं। विगत के इस बोझ तले वर्तमान में जीवन रह ही नहीं गया है। वर्ष की विदाई के साथ अब वक़्त उस बोझ को अलविदा कह देने का है।

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December 2024
सर्दी में क्यों तपे धरतीं?
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सर्दी में क्यों तपे धरतीं?

सर्दियों में हमें गुनगुनी गर्माहट की ज़रूरत तो होती है, परंतु इसके लिए कृत्रिम साधनों के प्रयोग के चलते धरती का ताप भी बढ़ने लगता है। यह अंतत: इंसानों और पेड़-पौधों सहित सभी जीवों के लिए घातक है। अब विकल्प हमें चुनना है: जीवन ज़्यादा ज़रूरी है या फ़ैशन और बटन दबाते ही मिलने वाली सुविधाएं?

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December 2024
उज्ज्वल निर्मल रतन
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उज्ज्वल निर्मल रतन

रतन टाटा देशवासियों के लिए क्या थे इसकी एक झलक मिली सोशल मीडिया पर, जब अक्टूबर में उनके निधन के बाद हर ख़ास और आम उन्हें बराबर आत्मीयता से याद कर रहा था। रतन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और महज़ दो माह पहले ही उनके बारे में काफ़ी कुछ लिखा भी गया। बावजूद इसके बहुत कुछ लिखा जाना रह गया, और जो लिखा गया वह भी बार-बार पढ़ने योग्य है। इसलिए उनके जयंती माह में पढ़िए उनकी ज़िंदगी की प्रेरक किताब। रतन टाटा के समूचे जीवन को चार मूल्यवान शब्दों की कहानी में पिरो सकते हैं: परिवार, पुरुषार्थ, प्यार और प्रेरणा। उन्हें नमन करते हुए, आइए, उनकी बड़ी-सी ज़िंदगी को इस छोटी-सी किताब में गुनते हैं।

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December 2024