सबसे खास अहसास है, प्यार आप कहेंगी कि हम जानते हैं, इसमें भला क्या नई बात हुई ? पर, क्या कभी यह सोचा है कि वक्त के साथ यह अहसास गुम क्यों होने लग जाते हैं? कई बार तो प्यार फुर्र ही हो जाता है। जवाब होगा, लोग बदल जाते हैं, जिम्मेदारी बढ़ जाती है वगैरह। पर क्या हमेशा यही कारण होते हैं? शायद नहीं। कई बार इसके पीछे वजह होती है, लव लैंग्वेज का तालमेल न बैठ पाना । अब आप सोच रहे होंगे कि भला यह क्या बला है? आप इस जुबान से प्यार के रूहानी अहसास को समेट कर रख सकते हैं। जरूरत होती है तो इस भाषा को जानने, समझने और आत्मसात करने की। इस बाबत रिलेशनशिप कोच इला जैन कहती हैं कि यह वह तरीका है जिसकी मदद से आप अपने पार्टनर को अहसास कराते हैं कि आप उसे समझते हैं, उसकी फिक्र है आपको। उसकी खुशी आपके लिए मायने रखती है।
क्या है प्यार की भाषा
भाषा, वो भी प्यार की... जी, हां। प्यार के अहसास की भाषा भी होती है। जिसे समय-समय पर समझा और बोला जाए तो रिश्ते में प्यार बढ़ता है और तकरार की आशंकाओं में कमी आती है। इला कहती हैं कि प्यार का भाषा के साथ संबंध ही लव लैंग्वेज को जन्म देता है यानी इसकी मदद से आप अपने साथी तक अपने अहसास को पहुंचाते हैं। इसमें तालमेल न बैठने के कारण ही रिश्ते में कड़वाहट आती जाती है। यह पांच तरीके की होती हैं। पहली, वर्ल्ड ऑफ अफर्मेशन। ऐसे लोग अपनी तारीफ सुनकर खुश होते हैं।
दूसरी होती है, क्वालिटी टाइम। ये लोग अपने पार्टनर का खुद के लिए कुछ वक्त चाहते हैं। तीसरी भाषा उन लोगों के लिए होती है, जिन्हें गिफ्ट पसंद हैं। चौथी है, एक्ट ऑफ सर्विस। यह भाषा उन लोगों के लिए है जो अपने पार्टनर से उम्मीद करते हैं कि वह उनका पूरा सहयोग करें, काम में मदद करके उनसे अपने प्यार का इजहार करें। पांचवीं भाषा है, फिजिकल टच। जिसमें पार्टनर अपने स्पर्श से अहसास कराते हैं कि वह हैं आपके साथ। इन तमाम भाषाओं को सीखने और बोलने के लिए आपको अपने पार्टनर को बारीकी से जानना और उसकी पसंद-नापसंद को समझना होगा ताकि आप अपने अहसास उस तक वैसे ही पहुंचा सकें, जैसे आप पहुंचाना चाहते हैं।
समझे अपने साथी को
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